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23-May-2019 2:11:24 pm
Posted Date

माल्या, नीरव मामलों की जांच करने वाला अपीलेट ट्राइब्यूनल विवादों में फंसा

 नई दिल्ली ,23 मई । विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे संदिग्ध आर्थिक अपराधियों से जुड़े मामलों की जांच करने वाला प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट का अपीलेट ट्राइब्यूनल खुद विवादों में फंस गया है। अपीलेट ट्राइब्यूनल यानी के एक जज ने उसके चेयरमैन मनमोहन सिंह पर नाइंसाफी का आरोप लगाया। ट्राइब्यूनल की जज और इंडियन रेवेन्यू सर्विसेज की ऑफिसर अनन्या सेन का आरोप है कि  चेयरमैन ने अपने अधिकारक्षेत्र से बाहर जाकर एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट को कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस में मुकदमा झेल रहे बॉलीवुड के दो प्रोड्यूसर्स की संपत्ति जब्त करने से रोकने वाला आदेश जारी किया है। कई लीगल एक्सपर्ट्स ने इस घटना को अभूतपूर्व करार दिया है। 
सेन एक ऑर्डर में इससे असहमति दर्ज कराई है, जिसे ईटी के संवाददाता ने देखा है। सेन ने मोनिका मलूका और रॉबिनसन दुग्गल के एसेट्स जब्त करने के अपने आदेश पर सिंह की तरफ से गलत तरीके से रोक लगाए जाने का आरोप लगाया है। सेन का आरोप है कि सिंह ने यह जानते हुए भी उनके आदेश रोक लगाई कि उन्होंने उसी दिन मामले में रोक हटाते हुए ईडी को जब्ती की कार्रवाई आगे बढ़ाने की इजाजत दी थी। 
सेन ने अपने कमेंट में लिखा है, मनमोहन सिंह ने सभी कानूनों और विधिक प्रक्रिया का खुल्लमखुला उल्लंघन करते हुए ऑर्डर/नोटिस (जिसे चुनौती दी गई हो) पर रोक लगाकर अपीलेंट (फिल्म प्रोड्यूसर्स) को लाभ दिया, जबकि उन्हें दूसरे बेंच के ऑर्डर को खारिज करने का कानूनन कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने यह जानते हुए भी ऐसा किया कि रोक को उसी दिन कुछ समय पहले मेरी तरफ से खारिज किया गया था। 
इस मामले में खबर लिखे जाने तक सेन से ईटी की बात नहीं हो पाई थी जबकि दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज मनमोहन सिंह ने रिपोर्टर से बातचीत में अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया। मनमोहन सिंह तीन साल के लिए क्करूरु्र के अपीलेट ट्राइब्यूनल चेयरमैन बनाए गए हैं। सिंह ने कहा, मैंने ऑर्डर इसलिए दिया कि रोक को खारिज करने वाला पिछला ऑर्डर फाइल में उपलब्ध नहीं था। 

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