छत्तीसगढ़

05-May-2019 1:01:03 pm
Posted Date

ग्रामीण क्षेत्रों में हरे-भरे पेड़ों की अंधाधुंन अवैध कटाई

(पत्थलगांव) यहां पत्थलगांव की सीमा से लगे धरमजयगढ़ क्षेत्र के गांव देहातों में हरे-भरे पेड़ों की कटाई सरपंच एवं पटवारी की मिली भगत से युद्ध स्तर पर जारी है, ग्रामीण क्षेत्रों में ईंटा एवं खपरा पकाने के लिए जहां कुछ ग्रामीणों द्वारा तो धान भूसा का उपयोग किया जाता है, वहीं कुछ ग्रामीणों द्वारा शासकीय भूमि एवं निजी भूमि पर लगे बड़े-बड़े हरे-भरे एवं फलदार पेड़ों को काटकर उनका उपयोग र्भी इंट भट्टों में धड़ल्ले से किया जा रहा है, यदि शहरी क्षेत्रों में एक भी पेड़ की अवैध कटाई की जाती है तो हाहाकार मच जाता है, मगर यहां ग्रामीण अंचलों में तो न कोई देखने वाला है, न कोई रोकने वाला है, अपने निजी स्वार्थ के लिए ग्रामीणों द्वारा बेखौफ होकर हरे-भरे एवं फलदार वृक्षों की कटाई लगातार की जा रही है, जिससे आने वाले दिनों में लगातार हर वर्ष तापमान में तेजी से वृद्धि हो रही है, एक ओर इन पेड़ों की अवैध कटाई से पर्यावरण दूषित हो रहा है वहीं दूसरी ओर इस भीषण गर्मी में लोगों का जीना मुश्किल हो गया है, हर वर्ष ग्रामीण क्षेत्रों में मार्च माह से मई माह तक बड़े-बड़े हरे पेड़ों की अंधाधुन कटाइ्र कर दी जाती है जिसकी भरपाई किया जाना निकट भविष्य में संभव है ही नहीं। संबन्धित जिम्मेदार अधिकारी जानते हुए भी इस अवैध कटाई को नजर अंदाज कर देते हैं, क्योंकि इन गरीब आदिवासी ग्रामीणों से उन्हें कुछ हांसिल नहीं होता, ये जिम्मेदार अधिकारी भी वहीं हाथ डालते हैं जहां इन्हें कुछ हांसिल होता दिखाई देता है। फोटो में देखिए आम के हरे-भरे विशाल वृक्ष को ईंटा पकाने हेतु किस कदर काटकर डहा दिया गया है।

 

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