छत्तीसगढ़

04-May-2019 1:39:56 pm
Posted Date

अब बस्तर में होगी लीची की खेती, कम दाम पर दिए जाएंगे पौधे

जगदलपुर, 04 मई । बस्तर के किसान अब अमरूद और पपीते के बाद आने वाले दिनों में मुजफ्फरपुर में होने वाली लीची की खेती करेंगे। खेती के लिए पौधे बस्तर में ही मिलेंगे वो भी कम दामों पर दिए जाएंगे। पांच साल के अंदर तैयार होने वाले इस पौधे की खेती को विकसित करने की योजना के तहत किसानों को लीची के पौधे शहर के डोंगाघाट की सरकारी नर्सरी से 40 रुपए प्रति नग के हिसाब से दिए जाएंगे। 
जानकारी के मुताबिक उद्यानिकी विभाग बीज उत्पादन व अन्य वेरायटी के पौधों को तैयार करने के बाद अब उन्हें कम दाम पर पौधे बेचकर बागवानी फसलों की तरफ किसानों को आकर्षित करने में लगा हुआ है। इसके लिए शहर से लगे डोंगाघाट नर्सरी में लीची के पौधे को तैयार करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। 
अब तक इस नर्सरी से किसानों को आम के बारहमासी और दशहरी, कटहल, सीताफल, अमरूद, चीकू, पपीता, नारियल, काजू और फूलों में गुलाब के साथ क्रोटान, ड्रेसिना और अरेलिया, फुटबाल लिली के साथ ही अन्य फूलों की कई प्रजातियां उपलब्ध करवाई जा रही थी। उपसंचालक उद्यानिकी अजय सिंह कुशवाहा ने कहा कि बस्तर का मौसम लीची के लिए अच्छा है। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए यह योजना बनाई है। जल्द ही पौधे तैयार कर किसानों को दिए जाएंगे । 
डोंगाघाट नर्सरी प्रभारी करन सोनकर ने बताया कि किसानों को कम दाम पर फल और फूलदार पौधे उपलब्ध करवाने के लिए विभाग पिछले कई सालों से कोशिश कर रहा था, जो अब जाकर सफल हुई है। किसान पारंपरिक फसलों के साथ ही फल और फूलदार पौधों की खेती कर आर्थिक रूप से सक्षम हो रहे हैं। विभाग ने यह योजना तैयार की है। उन्होंने बताया कि किसानों को दिए जाने वाले लीची के पौधे नर्सरी में मुजफ्फरपुर से लाकर लगाए गए 5 पेड़ों से ही तैयार किए जाएंगे। पहले चरण में 2000 पौधे तैयार किए जाएंगे। किसानों के साथ ही आम लोगों को दिए जाएंगे। 
 सरकारी नर्सरी से दिए जाने वाले इन पौधों से किसानों को हर साल किसान 5 से सात हजार रुपए कमा लेगा। नर्सरी प्रभारी ने बताया कि लीची की खेती के लिए जिले की आबोहवा यहां के मुताबिक है। इस खेती का फायदा किसानों को बड़े पैमाने पर मिलेगा। जानकारी के मुताबिक बस्तर जिले आने वाली लीची बिहार के मुजफ्फरपुर से आ रही है। बाहर से आने के चलते लीची 80-150 किलो के रेट पर बिकती है।

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