छत्तीसगढ़

01-May-2019 12:54:20 pm
Posted Date

मचान तोड़ किसान को हाथी ने पटक-पटक कर मार डाला

 इधर ग्रामीणों ने कहा घंटा हाथी नहीं अफ सरों पर लगाई जाए
महासमुंद ।  सिरपुर जंगल में हाथियों का उत्पात रूकने का नाम नहीं ले रहा है। आज मजदूर दिवस  के दिन अलसुबह एक और किसान को पटक-पटक कर मार डाला। बौखालाए हाथियों को रोक पाने में फ ारेस्ट विभाग विभाग पूरी तरह से असफल साबित हो रहा है। बतादें कि जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर ग्राम परसाडीह में खेत की रखवाली कर रहे तीन किसान पर हाथी ने हमला कर दिया। बताया जा रहा है कि तीनों किसान खेत में बने मचान में सो रहे थे, गहरी नींद में होने की वजह से किसान कुछ समझ पाते हाथी ने मचान तोड़ कर तीनों किसान को नीचे गिरा दिया। जैसे-तैसे किसान राजा ध्रुव और जालन ध्रुव वहां से भाग निकले लेकिन काशीराम यादव 50 साल को हाथी ने पकड़ लिया। और मचान के समीप ही पटक-पटक मार डाला। ग्रामीणों के अनुसार दो दिन पहले हाथी ने एक सवारी बस को दौड़ाया था, इसके अलावा लहंगर रास्ते पर आने-जाने वाले लोगों को दौड़ा रहा था। कहा जा रहा है कि दो दिन से हाथी विचलित हो चुका था, किसी घटना को अंजाम देने की आहट से ग्रामीण घबरा रहे थे। लेकिन फ ारेस्ट विभाग के मुस्तैदी नहीं होने के कारण लगातार ग्रामीण बेमौत मौत के मूंह में समा रहे हैं।
 फसल बचाओं हाथी भगाओं संयोजक राधेलाल सिन्हा ने फारेस्ट विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस क्षेत्र में लोग हाथी की दहशत से जी रहे हैं, किसी भी सूचना देने पर वन विभाग के अधिकारी फोन रिसीव नहीं करते अक्सर उनका मोबाइल स्वीच ऑफ रहता है। उन्होंने कहा हाथी के गले में घंटा बांधने से कोई फायदा नहीं है, पहले अफसरों के गले में घंटा लगाई जाए ताकि समय पर ग्रामीणों की इनकी कानों तक आवाज पहुंचे।
बतादें कि बीते चार सालों में अब तक हाथी हमले से यह 15 वीं मौत है तो वहीं करीब 20 लोग घायल हुए हैं. महासमुंद जिले में अभी तक सिरपुर क्षेत्र हाथियों से प्रभावित था लेकिन बीते कुछ दिनों से हाथियों का दल अलग अलग विचरण पर है, जिससे खतरा बढ़ता जा रहा है. महासमुंद वन परिक्षेत्र में 21 हाथी,पिथौरा व बसना परिक्षेत्र में 3 हाथी मौजूद हैं. इन तीन वर्षो में वन विभाग करोड़ों की राशि फसल मुआवजे में देने के अलावा 40 लाख रुपए  मृतकों के परिजनों को और 70 लाख से ज्यादा की राशि कुनकी हाथी को प्रशिक्षित करने में खर्च कर चुके हैं। पर आज तक यहां के ग्रामीणों को हाथियों के आंतक से छुटकारा नहीं मिल पाया है। 

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