छत्तीसगढ़

28-Apr-2019 12:30:58 pm
Posted Date

आदिवायी युवती से अनाचार के आरोपी को 10 साल कडी कैद

एट्रो सिटी एक्ट के विशेष न्यायाधीश ने जुर्माना भी ठोका 
रायगढ़।  अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण के विशेष न्यायाधीश विजय कुमार होता की अदालत ने आज आदिवासी युवती से अनाचार के मामले में फैसला सुनाते हुए मुख्य आरोपी को दस वर्ष के  सश्रम कारावास व जुर्माने से दंडित किया है। विद्वान न्यायाधीश ने अपने फैसले में पीडि़ता को बतौर क्षतिपूर्ति 1 लाख रूपए का भुगतान करने का भी आदेश पारित किया है। 
अभियोजन पक्ष के अनुसार प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार है कि कापू थाना अंतर्गत कापू की ही रहने वाली पीडि़ता जो अनुसूचित जनजाति वर्ग की सदस्यता है वह कम्प्यूटर की पढ़ाई करने हेतु अपने ग्राम गोलाबुडा से पत्थलगांव बस में आना जाना करती थी। इसी दौरान उसका बस के कंडक्टर एक अन्य आरोपी राज उर्फ मोहन से परिचय हो गया। घटना 4 अक्टूबर 2016 की है। इस दिन रात करीब साढ़े 10 बजे जब पीडि़ता अपने घर पर थी। इसी दौरान राज उर्फ मोहन यादव ने उसे फोन करके घर से बाहर बुलाया और जब पीडि़ता इस आरोपी से बातचीत कर रही थी। उसी समय पीछे से बाईक में सवार दो और आरोपी इस्लाम मोहम्मद तथा उसका एक साथी जयराम बंजारा वहां पहुंचे और बलात पीडि़ता के मुंह को दबाकर तथा हाथ को पकडक़र उसे जबरन बाईक में बिठाकर जंगल की ओर ले गए, जहां मुख्य आरोपी इस्लाम ने पीडि़त युवती को उसके खिलाफ छेडछाड की झूठी रिपोर्ट लिखाने और उसे परेशान करने का हवाला देते हुए जबरन उसके साथ अनाचार किया और बाद में उसे पीडि़ता के गांव के बाहर छोडक़र दोनों आरोपी फरार हो गए। पुलिस ने घटना की रिपोर्ट दूसरे दिन अपने परिजनों के साथ कापू थाने पहुंचकर दर्ज कराई। पुलिस ने इस मामले में तीनों आरोपियों के खिलाफ धारा 376, (2) (छ) का आरोप पंजीबद्ध करते हुए आरोपियों की तलाशी शुरू की और मुख्य आरोपी इस्लाम को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया था। विशेष्ज्ञ न्यायालय में यह प्रकरण उर्पापण पर प्राप्त होनें के बाद पीठासीन अधिकारी विद्वान न्यायाधीश विजय कुमार होता ने इस मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद आरोपी इस्लाम मोहम्मद को दोष सिद्ध करार देते हुए दस वर्ष के सश्रम कारावास तथा एक हजार रूपए के अर्थदण्ड से दंडित किया है। अभियुक्त के द्वारा अर्थदण्ड न पटाने पर उसे तीन माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतान होगा। विद्वान न्यायाधीश ने इस मामले में पीडि़ता को बतौर क्षतिपूर्ति 1 लाख रूपए प्रदान करने का भी आदेश पारित किया है। गौरतलब रहे कि इस मामले के सह आरोपी राज उर्फ मोहन यादव को जहां दोष मुक्त किया गया है वहीं एक अन्य आरोपी जयराम बंजारा अब भी फरार है। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक अनिल कुमार श्रीवास्तव ने पैरवी की। 

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