छत्तीसगढ़

27-Apr-2019 1:13:06 pm
Posted Date

सारंगढ़ रेंज बन रहा वन्यप्राणियों के लिए कब्रगाह

न्याय साक्षी/रायगढ़। करीब तीन दिन पहले सारंगढ़ रेंज के सुअरगुड़ा बीट क्षेत्र में दो बायसनों की मौत हुई थी। यहां शिकारियों ने छोटे वन्यप्राणियों के लिए करंट तार बिछाया था, लेकिन उनका शिकार बायसन बन गए। एक साथ दो बायसनों की मौत से विभाग के अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए और ऐसे में मामले को छिपाते हुए आनन-फानन में विभागीय अधिकारियों ने तत्काल उसका पीएम कराकर उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया, लेकिन मामले की जानकारी जब जिला सेव फारेस्ट समिति के पदाधिकारियों को हुई, तो तत्काल अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल व सचिव और उनके टीम केसदस्य मौके पर पहुंचे। यहां पूछताछ में पता चला कि लगातार यहां वन्यप्राणियों का शिकार हो रहा है और विभाग के अधिकारी मामले को दबा देते हैं।
सारंगढ़ रेंज में दो बायसनों की मौत के बाद उनकी मौत से जुड़े मामलों को जानने के लिए सेव फारेस्ट समिति के अध्यक्ष गोपाल, सचिव मोहसिन खान व उनकी टीम मौके पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि काफी लंबी दूरी तक करंट तार बिछाया गया था और वहां तार बिछाने के साक्ष्य मौजूद थे। इसके अलावा यहां जिस स्थान पर बायसनों का अंतिम संस्कार किया गया। उससे कुछ दूरी पर और भी बड़े जानवरों के हड्डी देखे गए। ऐसे में जब वहां मौजूद एक ग्रामीण से पूछा गया, तो उसका भी कहना था कि यह बायसन का ही हड्डी अवशेष है और तीन दिन पहले एक साथ दो बायसनों की मौत ने स्पष्ट कर दिया कि सारंगढ़ रेंज में शिकारी सक्रिय हैं और धड़ल्ले से शिकार को अंजाम दे रहे हैं। 

वहीं क्षेत्रीय ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारियों को भी बायसनों की मौत के बारे में पता ही नहीं था। उसे भी सुबह चार बिनने वाले ग्रामीणों ने देखा और मामले की जानकारी वन अमला को दी। इससे यह भी स्पष्ट होते जा रहा है कि सारंगढ़ रेंज भगवान भरोसे संचालित हो रहा है और यहां भी जंगल भ्रमण वनकर्मियों के द्वारा नहीं किया जाता है।
अगर जंगल भ्रमण निरंतर रूप से वनकर्मियों के द्वारा किया जाता, तो रात भर जंगल में शिकारी बड़े ही आसानी से करंट तार बिछाने व शिकार करने में कामयाब नहीं होते, लेकिन इसके बाद भी विभाग के बड़े अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं है और लगातार सारंगढ़ रेंज वन्यप्राणियों के लिए कब्रगाह बनते जा रहा है।
अभ्यारण्य में निगरानी, बाकी बेलगाम
तीन दिन पहले जिस स्थान पर दो बायसन की मौत हुई है, वह क्षेत्र अभ्यारण्य सीमा से लगा हुआ है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि अभ्यारण्य में कुछ काफी हद तक वन्यप्राणियों के सुरक्षा लिए निगरानी की जाती है, लेकिन अभ्यारण्य सीमा के बाहर सारंगढ़ सामान्य रेंज में वन अमला बेलगाम है और इस कारण जब वन्यप्राणी पानी व खाने की तालाश में अभ्यारण्य की सीमा से बाहर आते हैं, तो शिकारी उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं।
स्थानीय कर्मचारी सब से बड़ी समस्या
विभागीय सूत्रों ने बताया कि सारंगढ़ के गोमर्डा अभ्यारण्य क्षेत्र में अधिकांश स्थानीय वनकर्मी पदस्थ हैं। ऐसे में उनके द्वारा पूरी तरह सांठगांठ कर शिकारियों को सरंक्षण दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि पूर्व में यहां वन्यप्राणियों के मांस की बिक्री की भी कई खबरे आ चुकी है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि स्थानीय कर्मचारियों को यहां से हटा देना ही एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

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