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27-Aug-2018 10:03:34 pm
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गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस में अग्निकांड के खिलाप 2 लीगो को उम्रकैद सजा , 3 बरी

गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस रेलगाड़ी में 2002 में हुई आगजनी के मामले में एक विशेष अदालत ने सोमवार को दो और लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और तीन लोगों को बरी कर दिया.इस अग्निकांड के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. जांच एजेंसियों ने 2015-16 में पांच लोगों को गिरफ्तार किया था और सुप्रीम कोर्ट से गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की अदालत उनके खिलाफ सुनवाई कर रही थी.इसके साथ ही मामले में कम से कम 33 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है, जबकि 66 को बरी किया जा चुका है.विशेष एसआईटी अदालत ने एक मार्च 2011 को 31 लोगों को दोषी ठहराया था, उनमें से 11 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी और बाकियों को आजीवन कारावास दिया गया था. हालांकि पिछले साल अक्टूबर में गुजरात उच्च न्यायालय ने मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया था.स्पेशल एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर, एनएन प्रजापति ने संवाददाताओं को बताया:अदालत ने फारूक भाना और इमरान उर्फ शेरू बटिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. यह फैसला साबरमती केंद्रीय जेल में सुनाया गया, जहां मामले की सुनवाई चल रही है.जांच एजेंसियों ने भाना पर रेलगाड़ी हमले का मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप लगाया था. उसे मई 2016 में गुजरात आतंक रोधी दस्ते ने गिरफ्तार किया था. गोधरा नगरपालिका के पोलन-बाजार इलाके का पार्षद भाना 27 फरवरी, 2002 को हुए अग्निकांड वाले दिन से ही फरार था.उस पर आरोप था कि उसने 26 फरवरी को रेलवे स्टेशन के समीप अमन गेस्ट हाउस में एक बैठक कर अन्य आरोपियों के साथ मिलकर रेलगाड़ी की एस-6 बोगी में आग लगाने की साजिश रची थी.दोषी इमरान उर्फ शेरू बटिक को भी रेलगाड़ी में आग लगाने वाली भीड़ का हिस्सा होने और साजिश रचने का दोषी पाया गया. उसे महाराष्ट्र के मालेगांव से 2016 में गिरफ्तार किया गया था. अन्य तीन आरोपियों हुसैन सुलेमान मोहन, कसम भमेड़ी और फारूक धंतिया को बरी कर दिया गया.अहमदाबाद के साबरमती जेल में बनाई गई विशेष अदालत में 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस की एस-6 बोगी में हुई आगजनी मामले की सुनवाई चल रही है.

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