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24-Aug-2018 5:28:31 am
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भारत में बुजुर्गो की आबादी उम्मीद से अधिक तेजी से बढ़ रही है, आखिर क्यो

पिछले कई सालों से भारत को एक युवा देश के तौर पर पेश किया जाता रहा है, लेकिन एक हकीकत यह भी है कि भारत में बुजुर्गो की आबादी उम्मीद से अधिक तेजी से बढ़ रही है. यह 2050 तक बढ़कर 34 करोड़ पहुंचने की संभावना है जो संयुक्त राष्ट्र के 31.68 करोड़ के अनुमान से अधिक है. यह एक स्पष्ट संकेत है कि भारत अनुमान से अधिक तेजी से बूढ़ा हो रहा है. इन अनुमानों ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न खड़ा किया है कि क्या हम तेजी से बढ़ रही बुजुर्गो की आबादी को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा व समुचित देखभाल के लिए तैयार हैं. बढ़ती उम्र न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है. इसलिए विदेशों की तर्ज पर अडल्टकेयर व होमकेयर कॉन्सेप्ट भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. इसके तहत घर पर ही बुजुर्गो का इलाज और स्वास्थ्य की देखभाल के साथ उनका अकेलापन भी दूर किया जाता है.नई दिल्ली के पंचशील पार्क स्थित मैक्स हॉस्पिटल के जीरियाट्रिक्स व वरिष्ठ सलाहकार डॉ. जी.एस. ग्रेवाल ने कहा, “बुजुर्गों में अकेलापन अवसाद का सबसे बड़ा कारण है. मौजूदा समय में हर दूसरा युवा नौकरी के लिए दूसरे शहरों या विदेश का रुख कर रहा है, जिससे उनके वृद्ध मां-बाप अकेले रह जाते हैं. कई बार जब माता-पिता अपने बच्चों के साथ कहीं बाहर जाते हैं तो वे अजनबी माहौल में खुद को ढाल नहीं पाते हैं, ऐसे में उन बुजुर्गो के लिए एडल्टकेयर सेवाएं अच्छा विकल्प हैं.बुजुर्गो में अवसाद ने खुद को भारत के लिए एक उभरती स्वास्थ्य चुनौती के तौर पर पेश किया है. विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक, भारत में बुजुर्गो में अवसाद का औसत प्रतिशत 16 है जो विश्व के चार प्रतिशत के औसत से बहुत अधिक है.ग्रेवाल ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया, “55 वर्ष से ऊपर की आयु के अवसादग्रस्त लोगों को अन्य सामान्य लोगों के मुकाबले मस्तिष्क आघात या हृदयाघात से मरने की आशंका चार गुना अधिक रहती है. होम केयर सर्विस को भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का एक आवश्यक हिस्सा बनाए जाने की जरूरत है, ताकि बुजुर्गो की बीमारियों के बढ़ते बोझ से निपटा जा सके.ये सेवाएं क्या हैं और कैसे काम करती हैं? इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “विदेशों के साथ ही भारत में भी बुजुर्गो की देखभाल के लिए होमकेयर और एडल्टकेयर सेवाएं काफी लोकप्रिय हो रही हैं. इसके तहत देश के बड़े अस्पताल और चिकित्सा केंद्र प्रशिक्षित लोगों के जरिए बुजुर्गो की काउंसलिंग के साथ समाज में उन्हें मेल-जोल बढ़ाने को प्रेरित करते हैं.जनकपुरी स्थित वर्ल्ड ब्रेन सेंटर हॉस्पिटल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. नीलेश तिवारी ने बताया, “वृद्ध लोगों में अवसाद मानसिक रोगों के सबसे आम कारणों में से एक है. जैविक और मनोवैज्ञानिक कारकों के अलावा वातावरण भी अवसाद एक महत्वपूर्ण कारण है. जब लोग अकेले रहते हैं और सामाजिक रूप से सक्रिय नहीं होते हैं तो उनमें नकारात्मकता घर कर जाती है और धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य गिरता चला जाता है. हर किसी को और खासकर वृद्ध लोगों को अकेलेपन से दूर रहना चाहिए और मेल-जोल के अपने दायरे को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए.चिकत्सीय सेवा प्रदाता आईवीएच सीनियरकेयर के प्रबंधक स्वदीप श्रीवास्तव कहते हैं, “अकेलापन, अवसाद और अकाल मृत्यु काफी हद तक आपस में जुड़े होते हैं. इस समस्या से निजात पाने के लिए कई विकल्प और सेवाएं आ रही हैं. जो लोग अपने करियर और व्यक्तिगत प्रतिबद्धताओं के कारण अपने मां-बाप को समय नहीं दे पा रहे हैं, वे इन सेवाओं के जरिए अपने अभिभावकों को न केवल स्वस्थ, बल्कि खुश भी रख सकते हैं.उन्होंने कहा, “यही नहीं, बुजुर्गो की सहायता के लिए प्रशिक्षित लोग उन्हें वाक पर ले जाते हैं, किताबें पढ़कर सुनाते हैं और उनसे बातें भी करते हैं. चूंकि यह काम चिकित्सा क्षेत्र में प्रशिक्षित हुए लोग करते हैं, इसलिए इसका बुजुर्गो पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है और उनका शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है.”

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