छत्तीसगढ़

08-Apr-2019 11:40:36 am
Posted Date

’लू’ एवं छोटी माता से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा अलर्ट जारी

धमतरी , 08 अप्रैल ।  प्रदेश में गर्मी एवं उमस भरे वातावरण को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में ’लू’ एवं छोटी माता (चिकन पॉक्स) के लिए अलर्ट जारी किया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि ’लू’ के लक्षण सिर में भारीपन और दर्द का अनुभव, तेज बुखार के साथ मुंह सूखना, चक्कर और उल्टी आना तथा कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना है। इसके अलावा शरीर का तापमान अधिक होने के बावजूद पसीना नहीं निकलना, अधिक प्यास लगना और पेशाब कम आना, भूख कम लगना और बेहोशी इत्यादि लू के लक्षण हैं। 
उन्होंने बताया कि ’लू’ से बचने के लिए जहां तक हो सके, दोपहर के धूप में बाहर निकलने से बचना चाहिए। धूप में निकलने से पहले सिर एवं कानों को कपड़े से अच्छी तरह ढंककर निकलना चाहिए। लू से बचने के लिए पानी अधिक पीने और धूप में अधिक समय तक नहीं रहने की भी सलाह दी गई है। इन दिनों में नरम, मुलायम सूती कपड़े पहनना चाहिए, ताकि हवा और कपड़े पसीना सोखते रहें। अधिक पसीना आने की स्थिति में ओ.आर.एस. का घोल पीने और चक्कर, मितली आने पर छायादार स्थान पर आराम करने, ठंडा पानी अथवा हो सके तो फल का रस, लस्सी, मठा का सेवन करने के लिए कहा गया है। बताया गया कि प्रारंभिक सलाह के लिए आरोग्य सेवा केन्द्र से टोल फ्री नंबर 104 पर सम्पर्क कर परामर्श लिया जा सकता है। उल्टी, सिर दर्द, तेज बुखार की दशा में नजदीक के अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केन्द्र से जरूरी सलाह लेने पर जोर दिया गया है। 
’लू’ लगने पर प्रारंभिक उपचार के तौर पर बुखार पीडि़त व्यक्ति को सिर पर ठंडे पानी की पट्टी लगाना चाहिए और अधिक पानी एवं अन्य पेय पदार्थ जैसे कच्चे आम का पना, जलजीरा इत्यादि का ज्यादा से ज्यादा सेवन करने कहा गया। साथ ही पीडि़त व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लिटाकर शरीर पर ठंडे पानी का छिडक़ाव करते रहना चाहिए। इसके बाद किसी नजदीकी चिकित्सक अथवा अस्पताल में ले जाकर इलाज कराने कहा गया। ओ.आर.एस. पैकेट के लिए मितानिन अथवा ए.एन.एम. से संपर्क किया जा सकता है। 
ग्रीष्मकाल में छोटी माता से भी बचने स्वास्थ्य विभाग ने दी जरूरी सलाह- इसी तरह छोटी माता (चिकन पॉक्स) की जानकारी देते हुए बताया गया कि यह वेरिसला जोस्टर वायरस से होने वाला संक्रामक रोग है, जो कि दस साल से कम आयु वर्ग के बच्चों में ज्यादातर होता है। यह रोग कभी-कभी बच्चों एवं वयस्क मरीजों में गंभीर स्थिति पैदा करती है। इसके प्रारंभिक लक्षण मुख्यत: सर्दी, बुखार, निमोनिया के जैसे गंभीर लक्षण अंडकोष का बढऩा, कपड़े से ढंके वाले भाग में छोटे-छोटे दाने-फुंसी, जो बाद में फफोले उभर आते हैं। छोटी माता संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक वायरस हवा के माध्यम से खांसने, छींकने व संक्रमित व्यक्ति को छूने एवं संपर्क आने से भी फैलता है। 
इससे बचाव के लिए संक्रमित मरीज का बिस्तर, कपड़ा अलग रखना तथा बच्चों को सीधे मरीज के संपर्क में नहीं आने देना चाहिए और लक्षण के आधार पर सामान्य उपचार करते रहना चाहिए। मरीज को अधिक से अधिक विश्राम की अवस्था में तरल पदार्थ लेते रहना चाहिए। बताया गया है कि यह रोग लगभग तीन सप्ताह में स्वयं ठीक हो जाता है, फिर भी असावधानी की वजह से मरीज गंभीर अवस्था में जा सकता है। इसलिए हमें इसके प्रति सचेत होना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग की नि:शुल्क स्वास्थ्य परामर्श टोल फ्री नंबर 104 पर डायल कर स्वास्थ्य संबंधी सभी जानकारी ली जा सकती है। 

Share On WhatsApp