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22-Aug-2018 11:11:35 pm
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चीन के कर्ज में फंसने का डर, मलयेशिया के साथ सभी देश प्रभावित

न्यूयॉर्क : चीन एक तरफ जहां विवादित दक्षिण चीन सागर में आक्रामक रणनीति अपनाए हुए है, वहीं अपने महत्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इनिशटिव (BRI) के जरिए एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने की कवायद में लगा हुआ है। दक्षिण चीन सागर में चीन जहां सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहा है, वहीं 4 कृत्रिम द्वीप भी बनाए जा रहे हैं। दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश मलयेशिया में भी चीन तमाम प्रॉजेक्ट्स पर काम कर रहा है जिसका असल मकसद अपने वैश्विक प्रभाव को बढ़ाना है।

तमाम देशों में कई प्रॉजेक्ट्स के जरिए अपने वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने में लगे चीन को अब झटके भी लगने शुरू हो गए हैं। मंगलवार को मलयेशिया के नए नेता महातिर मोहम्मद ने चीन से जुड़े 22 अरब डॉलर के 2 बड़े प्रॉजेक्ट्स को रोकने का ऐलान करके चीन को बड़ा झटका दिया। महातिर मोहम्मद ने पेइचिंग के 5 दिवसीय दौरे के आखिर में यह ऐलान किया। उन्होंने पूर्ववर्ती मलयेशियाई सरकार पर जानबूझकर चीन के साथ बुरे समझौते पर साइन करने का आरोप लगाकर प्रॉजेक्ट्स से दूरी बना ली है। दरअसल धीरे-धीरे संबंधित देशों को गैरजरूरी प्रॉजेक्ट्स के जरिए चीन के कर्ज के जाल में फंसने का डर सताने लगा है।

श्री लंका और जिबूती से लेकर म्यांमार और मोन्टेनेग्रो तक तमाम देशों को चीन के कर्ज के जाल में फंसने का डर सताने लगा है। BRI के तहत चीन ने इन देशों में प्रॉजेक्ट्स के लिए भारीभरकम कर्ज दिया है। यह आशंका बढ़ती जा रही है कि चीन रणनीतिक लिहाज से दुनिया के कुछ बेहद अहम जगहों पर कर्ज और निवेश के जरिए अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। यह भी आशंका जोर पकड़ रही है कि संभवतः चीन अमेरिका के प्रभाव को कम करने के लिए देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसा रहा है।

पेइचिंग तमाम देशों में हिंद महासागर के तटों पर कई बंदरगाह प्रॉजेक्ट्स के निर्माण पर भारी-भरकम फंडिंग कर रहा है। उसकी इस रणनीति को स्ट्रिंग ऑफ पर्ल यानी मोतियों की माला के नाम से जाना जाता है। मिलिटरी एक्सपर्ट्स ने चेताया है कि एक दिन ये पोर्ट्स चीनी युद्धपोतों और पनडुब्बियों के ठिकाने के तौर पर काम करेंगे। बता दें कि पेइचिंग श्री लंका, पाकिस्तान, म्यांमार और जिबूती जैसी जगहों पर बंदरगाहों का निर्माण कर रहा है.

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