छत्तीसगढ़

06-Apr-2019 12:42:46 pm
Posted Date

वन विभाग को गश्ती की फिक्र, हाथियों से राहत पर नहीं

> गश्ती के लिए मिले एक एलीफेंड टे्रकिंग वाहन  > हाथी रोज धमक रहे गांवों में, दहशत कायम
महासमुंद। हाथी प्रभावित इलाकों में हाथियों से राहत दिलाने के बजाय गश्ती के लिए वन विभाग ज्यादा फिक्रमंद है। इसके लिए एक महीने पहले महासमुंद वनमंडल को दो एलीफेंड ट्रेकिंग वाहन मिले हैं। इधर, इन दो महीनों में हाथियों ने गांवों में तबाही मचा रखा है। राहत दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है। गस्त दल केवल वाहनों में पक्के मार्ग पर घूमकर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। इस गस्त दल से अभी तक ग्रामीणों को राहत नहीं मिली है। 
हाल यह है कि किसानों का उत्पाती हाथियों से आमना-सामना रोज हो रहा है। हाथी दल के साथ किसानों की फसलों को रोज नुकसान पहुंचा रहे हैं। गांवों में हाथियों की मौजूदगी ने किसानों की नींद उड़ा दी है। कुकराडीह बंजर से हाथी निकलते हैं और खेतों में फसलों को रौंदकर फिर कुकराडीह बंजर लौट जाते हैं। यह सिलसिला पिछले एक महीने से चल रहा है। पिछले ढाई साल से सिरपुर क्षेत्र के गांवों में जंगली हाथियों का आना-जाना जारी है। अभी भी समोदा महानदी के पास हाथियों का समूह डटा है।   जानकारी के मुताबिक दो महीने से एलीफेंड ट्रेकिंग वाहन में बचाव दल गश्त कर रहा है। दो पालियों में तीन-तीन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। 

हाथियों के आने का लोकेशन मिलने पर कर्मचारी एलीफेंड ट्रेकिंग वाहन में पहुंच जाते हैं। यह वाहन आधुनिक उपकरणों से लैस है। सर्च लाइट के अलावा इसमें जनरेटर भी लगा हुआ है, लेकिन हाथी प्रभावित इलाकों में गश्ती पर जोर के साथ किसानों को उत्पाती हाथियों से मुक्ति भी दिलाना जरूरी था, क्योंकि हाथी हर दूसरे रोज किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। आर्थिक क्षति पहुंच रही है और मुआवजा प्रकरण भी समय पर नहीं बन रहा है। ऐसे में किसानों का मानना है कि किसानों को हाथियों से मुक्ति कैसे मिलेगी, इस पर विचार किया जाना चाहिए। हाथी भगाओ फसल बचाओ समिति के संयोजक राधेलाल सिन्हा का कहना है कि गस्त दल के पास जंगल हाथी से बचाव के लिए कुछ नहीं है। ये दल केवल पक्के मार्ग में ही घूम रहा है। जबकि हाथी खेतों व जंगलों में विचरण कर रहे हैं। गस्त दल का एक भी कर्मचारी हाथियों को खदेडऩे खेतों में नहीं घूसता है। इन्हें हाथियों के लोकेशन की भी जानकारी नहीं होती है। 
कुकराडीह में डटे १७ हाथी
कुकराडीह बंजर हाथियों के लिए स्थाई अड्डा बन गया है। अभी १७ हाथियों का समूह यहां मौजूद है। यहीं से निकलते हैं और फसलों को चौपट कर फिर यहीं लौट आते हैं। कर्नाटक से कुमकी हाथियों को लाकर पासिद कैंप में रखा गया था। सालभर यहां रखने के बाद सरगुजा भेज दिया गया। एक ही बार कुमकी हाथियों का ऑपरेशन चला, वो सिर्फ दो घंटे के लिए। अब जंगली हाथी फिर से गांवों की तरफ आ गए हैं। रबी और सब्जी की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसान सबकुछ देखकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। 
ड्रोन कैमरे से भी रखी जाएगी नजर  
वन विभाग इन हाथियों पर नजर रखने के लिए अब ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल करेगा। हालांकि, इसके लिए विभाग ने अभी ड्रोन कैमरा नहीं खरीदा है। आने वाले दिनों में इसी के सहारे हाथियों पर नजर रखी जाएगी। ज्ञात हो कि वन विभाग ने जंगली हाथियों के दल के एक हाथी के गले में रेडियोकॉलर पहनाया है। इसकी सहायता से भी वन विभाग हाथियों पर नजर रख रहा है। 
गर्मी से बचने जलक्रीड़ा
समोदा महानदी में हाथियों का दल पहुंचने क्षेत्र में हडक़ंप मच गया है। वनमंडलाधिकारी आलोक तिवारी ने बताया कि सुबह से हाथियों का दल समोदा महानदी में है। क्षेत्रवासियों को जंगली हाथियों से दूर रहने की हिदायत भी दी जा रही है। महानदी में आए जंगली हाथियों को देखने पूरा गांव पहुंच गया है। 

हाथी प्रभावित क्षेत्र में रात को गस्त करने के लिए विभाग को एक एलीफेंट ट्रेकिंग वाहन मिला है। इससे कर्मचारी क्षेत्र में गस्त करते हैं। वहीं ड्रोन कैमरे से भी नजर रखी जाएगी। हालांकि अभी कैमरे की सप्लाई नहीं हुई है। अभी हाथियों का दल समोदा महानदी में है। 
आलोक तिवारी, डीएफओ महासमुंद

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