जगदलपुर । गर्मी का मौसम आते ही ग्रामीण जंगलों में महुआ बीनना शुरू हो जाता है, लेकिन आश्चर्यजनक बात ये है कि ग्रामीण महुआ के फूलों को बीनने के चलते जंगलों में आग लगा रहे हैं, जिससे नगर सेना के जवानों के अलावा अन्य सुरक्षा बलों के जवानों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है। पखवाड़े भर में 6 जगहों पर ऐसे ही आगजनी के मामले देखने को मिले, जहां जवानों ने कड़ी मशक्कत करके आग पर काबू पाया।
आगजनी के मामले में नगर सेना सेनानी एस मार्बल ने बताया कि अब तक आगजनी के 6 मामले देखने को मिले हैं, जिसमें सबसे पहले 11 मार्च को मारेगा के डोंगरीपारा काजू प्लाट में आगजनी, 14 मार्च को मनीराम व मंगतूराम के ग्राम छोटे परदा के पैरावट, 18 मार्च को बस्तर परिवहन संघ के सामने जंगल, 19 मार्च को करणपुर सीआरपीएफ कैंप के सामने जंगल, वहीं 4 दिन पहले कुरंदी के एक प्लाईवुड फैक्ट्री में आगजनी के अलावा आज गीदम रोड स्थित पांचवी बटालियन के पीछे सागौन के जंगल में आगजनी हुई।
मार्बल ने बताया कि जंगलों में आग लगने का कारण ग्रामीण महुआ बीनने के लिए जंगलों में आग लगा देते हैं, जिससे जंगल में आग फैल जाती है, कई बार आगजनी जिन स्थानों पर होती है वहां फायर बिग्रेड वाहन नहीं पहुंच पाता है।
ऐसे में जवानों को मोटरसाइकिल लेकर अंदर जाना पड़ता है, जहां वाहन में भरे 60 लीटर पानी का ही उपयोग कर पाते हैं। बात करें अभी कुछ दिन पहले की तो कुरंदी के प्लाईवुड फैक्ट्री में जो आगजनी हुई थी, उसमें सुबह 5-30 बजे से रात 9 बजे तक आग को बुझाने का काम किया गया था। इस आग को बुझाने के लिए एनएमडीसी कि वाहन के साथ ही नगर सेना की वाहन भी उपयोग किया गया था। आग को बुझाने के लिए जवानों को 32 टैंकर वाहन, जिसमें करीब 9000 लीटर पानी का उपयोग इस आग को बुझाने में लगा। वही आग अंदर से लगी होने के कारण दो जेसीबी के माध्यम से प्लाईवुड को हटाने का काम किया जा रहा था।