नईदिल्ली, 29 मार्च । दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में वायु प्रदूषण के कारण हर साल 15 लाख से अधिक मौतें होती हैं, लेकिन तीन वर्ष की अवधि के समाचार और सोशल मीडिया में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों और इसके सबसे आशावान समाधानों को लेकर लोगों की कम समझ पर जोर दिया गया है। वैश्विक स्वास्थ्य संगठन वाइटल स्ट्रैटेजीज के एक नए अध्ययन हेजी पर्सेप्शंस में यह बात सामने आई है।
वाइटल स्ट्रैटेजीज में पर्यावरणीय स्वास्थ्य के वरिष्ठ वाइस प्रेसिडेंट डेनियल कास ने कहा, लोगों द्वारा अच्छी गुणवत्ता वाली वायु की मांग किया जाना जरूरी है, लेकिन हमारी रिपोर्ट कहती है कि यह मांग गलत मध्यस्थताओं पर केंद्रित हो सकती है। सरकारों को शुद्ध वायु के लिए नीतियां अपनानी चाहिए और साथ ही उद्योगों को उत्सर्जन कम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हेजी पर्सेप्शंस यह समझने में हमारी सहायता कर सकता है कि लोगों को स्थायी वायु प्रदूषण और उसके प्रमुख कारणों के बारे में कैसे जागरूक किया जाए, ताकि लोग सही बदलाव की दिशा में बढ़ सकें। इस रिपोर्ट का विश्लेषण प्रगति के मापन के लिए भी महत्वपूर्ण आधार देता है।
इस रिपोर्ट के लिए वर्ष 2015 से 2018 तक 11 देशों से समाचारों और सोशल मीडिया के पांच लाख से अधिक दस्तावेज लेकर उनका विश्लेषण किया गया है, जो कि शोध की एक खोजपरक विधि है और इससे वायु प्रदूषण के संबंध में लोगों की गलत धारणाएं उजागर हुई हैं।
डेनियल कास ने कहा कि वायु की खराब गुणवत्ता के कारण स्वास्थ्य को लंबे समय तक होने वाली हानि से लोग अनभिज्ञ हैं। समाचार और सोशल मीडिया पोस्ट स्वास्थ्य पर छोटी अवधि के प्रभाव बताते हैं, जैसे खांसी या आंखों में चुभन, यह क्रॉनिक एक्सपोजर से होने वाले स्वास्थ्य प्रभावों- जैसे, कैंसर से बहुत दूर है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य प्राधिकरण सूचना के सबसे प्रभावी स्रोत नहीं हैं। वायु प्रदूषण पर चर्चा को प्रभावित करने वाले प्रभावशाली लोग विविधतापूर्ण हैं और वर्ष दर वर्ष बदलते रहते हैं, लेकिन यह विश्लेषण अग्रणी प्रभावी व्यक्तियों में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरणों को चिन्हित नहीं करता है।
डेनियल कास ने कहा कि सार्वजनिक चर्चा वायु प्रदूषण के महत्वपूर्ण कारकों पर केंद्रित नहीं है। प्रदूषकों के सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों, जैसे घरेलू ईंधन, पावर प्लांट्स और अपशिष्ट को जलाने पर लोगों को चिंता कम है, वे वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर अधिक केंद्रित हैं।