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08-Aug-2018 12:43:38 pm
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आपके हर डिजिटल जमा और खर्च पर है आयकर विभाग नजर, अधिकारियों ने ऐसा बिछाया है जाल

आयकर विभाग आपके हर जमा और खर्च पर डिजिटल नजर रखेगा। इससे कम छापेमारी में ज्यादा टैक्स चोरी पकड़ना संभव हो सकेगा। विभाग ने टैक्स स्क्रूटनी का जाल तकनीक के सहारे इतना फैला लिया है कि रिटर्न दाखिल करने के पहले ही व्यक्ति की जमा-खर्च का लेखा-जोखा सिस्टम में पहुंच जाता है।

आधिकारिक सूत्रों ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि आयकर विभाग ने इस साल टैक्स स्क्रूटनी में कमी करेगा। पिछले साल के एक फीसदी के मुकाबले केवल 0.35 फीसदी मामलों में स्क्रूटनी होगी। 

सूत्रों की मानें तो विभाग अब इस नीति पर चल रहा है कि करदाता अगर पूरी ईमानदारी से पैसा कमाते और खर्च करते हैं तो अब आयकर विभाग उनके रिटर्न की स्क्रूटनी नहीं करेगा। इसका फायदा ये होगा कि रिटर्न फाइल करने के बाद विभाग की तरफ से नोटिस आने का झंझट भी खत्म हो जाएगा। साथ ही छापा पड़ने का खतरा भी कम होगा। 

जानकारियों का जाल बिछाया 
पिछले कुछ सालों में विभाग ने खुद को तकनीकी तौर पर मजबूत किया है और ऐसी व्यवस्था लागू की गई हैं जिसके कारण विभाग को करदाताओं के तमाम वित्तीय लेन-देन और जमा खर्च की जानकारियां दूसरे स्रोतों से मिल जाती है। इन्हीं जानकारियों के आधार पर विभाग ने ये फैसला लिया है कि पिछले साल के 1 फीसदी के मुकाबले इस साल कुल रिटर्न में से केवल 0.35% मामलों की ही स्क्रूटनी की जाएगी। 

आयकर विभाग के नियम 114 डी और 114 ई में मौजूद चीजें वित्तीय लेनदेन को विभाग के कम्प्यूटराईज्ड सिस्टम में सीधे पहुंच जाती हैं। ऐसे में इन जानकारियों को ही मुकम्मल माना जाएगा और रिटर्न की स्क्रूटनी में करीब 150 फीसदी की कमी करने का फैसला किया गया है। इस नियम के दायरे में वे तमाम लेनदेन आते हैं जिनमें पैन कार्ड का इस्तेमाल किया जाता है। 

सभी तरह के बैंकिंग लेनदेन, म्यूचुअल फंड, बीमा और शेयरों की खरीद बिक्री के साथ साथ गाड़ियों और ऊंचे दाम पर प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री के भी आंकड़े आयकर विभाग के पास मौजूद हैं। क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और पेमेंट एप्लीकेशन के जरिए किए जाने वाले लेनदेन की जानकारी भी आयकर विभाग के पास पहुंचती रहती है।

ऐसे में लंबे समय में विभाग के कामकाज में पाया गया है कि ज्यादातर लोगों के रिटर्न में बड़ा फर्क नहीं रहता है। आयकर विभाग स्क्रूटनी का काम कम्प्यूटर असिस्टेड स्क्रूटनी सेलेक्शन (सीएएसएस) सिस्टम के जरिए करता है और अब इस सिस्टम में अहम बदलाव किए जा रहे हैं। यही वजह है कि करदाता के इन आंकड़ों पर भरोसा कर विभाग कार्रवाई का दायरा कम करने का मन बना रहा है। 

नोटबंदी के बाद दो लाख ने रिटर्न दाखिल किया
वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने मंगलवार को कहा कि पिछले वित्त वर्ष में ऐसे 2.09 लाख लोगों ने आयकर विभाग को अपनी आय कर का ब्योरा दिया जो पहले रिटर्न नहीं दाखिल करते थे। ऐसे लोगों से 6,416 करोड़ रुपये का कर प्राप्त हुआ।

राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में उन्होंने कहा कि आईटी विभाग ने उन 3.04 लाख लोगों को नोटिस जारी किए हैं जिन्होंने नोटबंदी के बाद 10 लाख रुपये से अधिक की नकदी जमा कराई थी, लेकिन उन्होंने देय तिथि तक आय का रिटर्न दाखिल नहीं किया था। शुक्ला ने कहा, परिणामस्वरूप 2.09 लाख ऐसे आयकर नहीं दाखिल करने वालों (गैर-फाइलर्स) द्वारा रिटर्न दाखिल किया गया जिन्होंने 6,416 करोड़ रुपये का आत्म मूल्यांकन आधार पर अपना कर चुकाया।

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