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06-Aug-2018 4:27:38 pm
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देश में लड़कियों की तुलना में लड़कों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले ज्‍यादा है

महिला और बाल विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि देश में बच्‍चों के यौन शोषण में लड़कियों की तुलना में लड़कों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले ज्‍यादा हैं। मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 53.22 प्रतिशत बच्चों को यौन शोषण के एक या अधिक रूपों का सामना करना पड़ा है। इसमें 52.94 प्रतिशत लड़के हैं जो यौन उत्पीड़न की घटनाओं का शिकार हुए हैं।चेंज डॉट ओआरजी के माध्यम से बाल यौन उत्पीड़न के मामले को उठाने वाली याचिकाकर्ता और लेखक इंसिया दरीवाला ने इस विषय पर बताया कि सबसे बड़ी समस्या है कि इस तरह के मामले कभी सामने नहीं आते। क्योंकि हमारे समाज में बाल यौन उत्पीड़न को लेकर जो मानसिकता बनी हुई है उसके कारण बहुत से मामले दर्ज ही नहीं होते। अगर आते भी हैं तो बहुत ही कम ऐसे मामले आ पाते हैं। लोग यह मानने को तैयार ही नहीं होते कि पुरुषों के साथ कभी यौन उत्पीड़न हो सकता है।उन्‍होंने कहा कि लड़कों के साथ यौन उत्पीड़न होने पर पहले लोग उस पर हंसेंगे, उसका मजाक उड़ाएंगे और मानने से इंकार कर देंगे। मजाक बनाए जाने के कारण लड़कों को अपनी सच्‍चाई बताने में डर लगता है और ज्‍यादातर घटनाएं दबा दी जाती हैं। जिससे ऐसी घटना को अंजाम देने वाले लोग धरल्‍ले से ऐसी घटनाओं को अंजाम देने लगते हैं।उन्‍होंने कहा कि आज सामान्य कानूनों को निष्पक्ष बनाने का प्रयास किया जा रहा है जिसकी शुरुआत पॉस्को कानून से हुई। दरअसल, अब धारा 377, पुरुषों के दुष्कर्म कानून को भी इसके तहत देखा जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि लिंग समानता का अर्थ यह बिलकुल नहीं है कि एक लिंग को ध्यान में रखकर ही सारे कानून बनाये जाएं । पुरुष और महिलाओं को समान सुरक्षा का अधिकार मिलने की जरूरत है।

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