छत्तीसगढ़

14-May-2025 10:30:07 pm
Posted Date

जतन केन्द्र से मिल रहा दिव्यांग बच्चों को नया जीवन

  • सौम्य एवं आर्यन की लौटी आवाज, एक वर्ष में 3051 बच्चें हुए लाभान्वित

रायगढ़।  जतन केन्द्र की कुशल टीम ने नि:स्वार्थ भाव से अपनी सेवाएं देते हुए जिले में अपनी एक अलग पहचान बनायी है। केन्द्र के प्रभारी डॉ.विवेक उपाध्याय के कुशल नेतृत्व से कार्य संचालन किया जा रहा है। वर्ष 2024-25 में अब तक कुल 3051 बच्चे जतन से लाभान्वित हुए है। जतन केन्द्र में संसाधनों के साथ ही कार्यकुशलता को बढ़ाया जा रहा है। जिसके लिए जतन दल द्वारा मातृ एवं शिशु अस्पताल का भ्रमण कर दिव्यांग बच्चों की शीघ्र पहचान कर उसे ठीक करने में मदद करेगा। साथ ही आशा वर्कर के माध्यम से विशेष बच्चों की पहचान की जाएगी ताकि जतन केन्द्र से नि:शुल्क सुविधाएं ले सकेंगे। इसके साथ ही समय-समय पर विशेष चिकित्सकों की जतन में शिविर आयोजित की जाएगी।
         उल्लेखनीय है कि जिला शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र (जतन)की स्थापना 13 फरवरी 2016 को किया गया था। जिसका संचालन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के द्वारा किया जाता है। जतन केन्द्र का मुख्य कार्य दिव्यांग बच्चों को शीघ्र पहचान करना तथा उसे ठीक करने के लिए शीघ्र हस्तक्षेप करना है। विगत 9 वर्षो में जतन केन्द्र ने हजारों दिव्यांग बच्चों के जीवन सुधार के साथ ही उनकी मुस्कान लौटाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।
           जतन केन्द्र में विशेष बच्चों के लिए चिकित्सा अधिकारी, मुख एवं दंत चिकित्सक, फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, ऑडियोलॉजी और स्पीच थेरेपी, विशेष शिक्षा, नेत्र स्वास्थ्य सुविधा, पोषण तथा आहार विश्लेषण, मनोचिकित्सक परामर्श, सामाजिक विश्लेषण जैसे सेवाएं नि:शुल्क उपलब्ध है। केन्द्र में मुख्य रूप से चिरायु दल द्वारा चिन्हांकित केटेगरी डी के बच्चों का नि:शुल्क उपचार एवं रेफरल किया जाता है।
सौम्य एवं आर्यन की लौटी आवाज
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जतन के दंंत चिकित्सा केन्द्र के विवेक उपाध्याय ने जीभ के तालू से जुड़े होने की बीमारी से बच्चों को निजात दिलाई है। जिसमें बच्चों का जीभ फ्रिनम के कड़े होने पर, मोटे होने को लीगुंल फ्रैनेक्टमी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। जिसके तहत 9 वर्षीय सौम्य बारा एवं 5 वर्षीय आर्यन टोप्पो को इस सुविधा का लाभ मिला। इसके अलावा जतन केन्द्र के माध्यम से लगभग 250 बच्चों का सफलता पूर्वक बिना भर्ती हुए आसानी से इलाज किया गया। ये पद्धति आसान और दर्द के बिना, सुन्न करके की जाती है, जिसके पश्चात उसकी भाषा में सुधार आता है।

 

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