न्यूयॉर्क । जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते सामाजिक व आर्थिक दबाव, महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा मामलों में दर्ज किए जा रहे उछाल की वजह बन रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की ‘स्पॉटलाइट पहल’ द्वारा प्रकाशित एक नए अध्ययन में यह चेतावनी जारी की गई है, जिसके अनुसार इस सदी के अन्त तक, महिलाओं के अंतरंग साथी द्वारा की जाने वाले हिंसा के हर 10 मामलों में से एक, जलवायु परिवर्तन से जुड़ा हो सकता है. रिपोर्ट बताती है कि चरम मौसम, विस्थापन, खाद्य असुरक्षा और आर्थिक अस्थिरता समेत अन्य कारक लिंग-आधारित हिंसा की गम्भीरता और उसमें उछाल के लिए जि़म्मेदार हैं.नाज़ुक हालात से जूझ रहे समुदायों पर इसका गहरा असर होता है, जहाँ महिलाएँ पहले से ही विषमताओं का सामना करने की वजह से हिंसा का शिकार बनने का जोखिम झेलती हैं.अध्ययन के अनुसार, वैश्विक तापमान में 1डिग्री की वृद्धि से, अंतरंग साथी हिंसा मामलों में 4.7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी नजऱ आ सकती है.2डिग्री तापमान बढऩे की स्थिति में, वर्ष 2090 तक कऱीब चार करोड़ लड़कियाँ व महिलाएँ, अंतरंग साथी द्वारा हिंसा मामलों की शिकार बन सकती हैं, जबकि 3.5डिग्री तापमान वृद्धि से यह आँकड़ा दोगुना हो सकता है.‘स्पॉटलाइट पहल’, संयुक्त राष्ट्र और योरोपीय संघ के बीच एक वैश्विक साझेदारी है, जोकि महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा के सभी रूपों के उन्मूलन पर केन्द्रित है.अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया है कि जलवायु समाधानों को कारगर व सतत बनाने के लिए यह अहम है कि अधिकारों, सुरक्षा व न्याय पर ध्यान दिया जाए। संघर्षों और अस्थिरता की स्थितियों के परिणाम, महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ उच्च स्तर की लैंगिक हिंसा के रूप में सामने आ सकते हैं. एक बड़ी महामारीरिपोर्ट के अनुसार, लिंग-आधारित हिंसा एक वैश्विक महामारी बन चुकी है. एक अरब से अधिक महिलाओं, यानि कऱीब हर तीन में से एक महिला ने अपने जीवनकाल में शारीरिक, यौन व मनोसामाजिक हिंसा का किसी न किसी रूप में सामना किया है.हालांकि वास्तविक आँकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका है. इन अनुभवों से गुजऱने वाली केवल सात फ़ीसदी पीडि़त ही औपचारिक तौर पर पुलिस या मेडिकल सेवा में इसकी जानकारी देती हैं.‘स्पॉटलाइट पहल’ में स्पष्ट किया गया है कि जलवायु आपदाओं के घटित होने के बाद की स्थिति में ऐसे हिंसा मामलों में अक्सर उछाल दर्ज किया जाता है.वर्ष 2023 में, 9.31 करोड़ लोग मौसम-सम्बन्धी आपदाओं व भूकम्पों से प्रभावित हुए हैं. 42.3 करोड़ महिलाओं ने अपने अंतरंग साथी द्वारा की जाने वाली हिंसा का सामना किया.जैसे-जैसे जलवायु झटकों की आवृत्ति व गहनता बढ़ रही है, लिंग-आधारित हिंसा मामलों में नाटकीय वृद्धि आने की आशंका है. साथ ही, बाढ़, सूखे व मरुस्थलीकरण से उपजे हालात, बाल विवाह, मानव तस्करी, यौन शोषण के मामले बढऩे की वजह बन सकते हैं. पहले से ही नाज़ुक हालात में रहने वाले समुदाय की महिलाओं पर जलवायु व्यवधानों के बाद लिंग-आधारित हिंसा का जोखिम बढ़ता है. हाशिए पर समुदायअध्ययन के अनुसार, इस संकट का बोझ हर किसी पर समान रूप से वितरित नहीं है.सीमान्त किसानों, अनौपचारिक बस्तियों में रहने वाली और निर्धनता में जीवन गुज़ार रही महिलाओं व लड़कियों के इनका शिकार होने की सम्भावना अधिक होती है. आदिवासी, विकलांग, वृद्ध और एलजीबीटीक्यू+ समुदाय भी ये जोखिम झेलते हैं और उनके पास ज़रूरी सेवाओं, आश्रय और संरक्षण की सीमित सुलभता है.सब-सहारा अफ्ऱीका में, 4डिग्री तापमान वृद्धि की स्थिति में अंतरंग साथी हिंसा मामलों में कऱीब तीन गुना उछाल आने की सम्भावना है. वर्ष 2015 में 4.8 करोड़ महिलाओं ने इन घटनाओं का सामना किया था, और 2060 तक यह संख्या बढक़र 14 करोड़ पहुँच सकती है.मगर, तापमान में वृद्धि 1.5डिग्री तक सीमित रह जाने से यह आँकड़ा 2015 में 24 प्रतिशत से घटकर 2060 में 14 प्रतिशत तक सीमित रह सकता है.रिपोर्ट में सचेत किया गया है कि महिला पर्यावरणीय अधिकार कार्यकर्ताओं के विरुद्ध जोखिम बढ़ रहे हैं.भूमि के विध्वंसकारी इस्तेमाल और दोहन करने वाले उद्योगों के विरुद्ध आवाज़ मुखर करने वाली महिला कार्यकर्ताओं को उत्पीडऩ, कथित बदनामी, शारीरिक हमलों व अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के कलेमाई में लिंग आधारित हिंसा से बची एक महिला. समावेशी नीति पर बलबताया गया है कि हालात की गम्भीरता के बावजूद, जलवायु सम्बन्धी विकास सहायता में से केवल 0.4 प्रतिशत मामलों में ही लैंगिक समानता पर मुख्य तौर पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है.रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि यह खाई, यह समझने में बड़ी विफलता है कि लिंग-आधारित हिंसा किस तरह से जलवायु न्याय व सहनसक्षमता प्रयासों को प्रभावित करती है.‘स्पॉटलाइट पहल’ में लिंग-आधारित हिंसा की रोकथाम को, जलवायु नीति के सभी स्तरों में एकीकृत करने पर बल दिया गया है – स्थानीय स्तर पर रणनीतियों से अन्तरराष्ट्रीय सहायता धनराशि ढाँचों तक.मोज़ाम्बीक़, हेती, लाइबेरिया, वानुआतु समेत अन्य देशों के उदाहरणों के ज़रिये दर्शाया गया है कि हिंसा से निपटने और जलवायु सहनसक्षमता निर्माण के लिए कौन से कार्यक्रम अपनाए जा सकते हैं.इनमें जलवायु-स्मार्ट कृषि सैक्टर में रोजग़ार के लिए दाइयों को फिर से प्रशिक्षित करना, और यह सुनिश्चित करना है कि आपदा के बाद राहत कार्रवाई में लिंग-आधारित हिंसा से बचाव के लिए सेवाओं की व्यवस्था की जाएगी और आपदा प्रभावित इलाक़ों में क्लीनिक की व्यवस्था हो.अध्ययन में कहा गया है कि कारगर जलवायु कार्रवाई के लिए यह ज़रूरी है कि सुरक्षा, समता, और महिलाओं व लड़कियों के नेतृत्व को प्राथमिकता दी जाए.
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