छत्तीसगढ़

14-Mar-2019 2:39:40 pm
Posted Date

क्रशरों की धूल से लोग परेशान व क्रशर मालिकों द्वारा शासन की निर्धारित नियमों का खुला उल्लंघन

(चन्द्रिका भास्कर की रिपोर्ट)
      न्याय साक्षी/रायगढ़। जिला विकासखंड बरमकेला अन्तर्गत आने वाले कटंगपाली, साल्हेओना मे स्थापित क्रशर मालिकों की दबंगई तक सामने आई जब मीडिया टीम खबर कवरेज के लिये क्रशर पहुंची। मीडिया टीम को देखते ही क्रशर में उपस्थित लोग बैखला गये। जैसे ही क्रशर का वीज़वल बनाना चालू किये, वैसे ही क्षेत्र में स्थापित क्रशर मालिकों का झुंड पहुंच गया और क्रशर के अन्दर आने का परमिशन दिखावो कहने लगा और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए मीडिया टीम पर चढाई करना चालू कर दिए। तत्पश्चात मीडिया कर्मियों के द्वारा वहीं से एस.एस नाग को दूरभाष के माध्यम से सूचना दी गई, जिसमें उनका साफ साफ कहना है कि हमारे विभाग से सम्बंधित किसी भी उद्योग मे जाने के लिए मीडिया को किसी से परमिशन लेने की आवश्यकता नहीं है। वहीं क्रशर मालिकों द्वारा  मिडिया टीम के सभी सदस्यों का नाम, पता पूछताछ करने लगे और गन्दी गन्दी गाली गलौज करते हुए वसूली करने का झूठा आरोप लगाते हुए  छ: - सात क्रशर मालिकों ने जातिगत गाली गलौज़ करते हुए मारने पीटने की बात करने लगे तब मीडियाकर्मियों को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा। वहीं हम आपको बता दे की क्रशरों को स्थापित हुए नव- दस वर्षों से लगातार शासन द्वारा निर्धारित नियमों का खुला उल्लंघन करते हुए रात दिन क्रशर संचालन किया जा रहा है। वहीं क्रशरों में वर्षों से चल रहे अवैध खनन के साथ अवैध रूप से संचालन किया जा रहा है। भण्डारण क्षमता से अधिक क्रशरों मे अवैध डोलोमाइट स्टाक में रखा हुआ है, तो वहीं लीज क्षेत्र की खनन की बात करें तो शासन की नीति, निर्देश एवं नियमों को ताक पर रख कर संचालन किया जा रहा है। जिसकी जानकारी बाहर आने से क्रशर मालिकों को तकलीफ हो रही है।
श्रमिकों का स्वास्थ्य व जान का किया जा रहा खिलवाड़
 श्रमिकों व क्रशर स्टाफों की बात करें तो किसी का बीमा और सूरक्षा का कोई व्यवस्था यहां नहीं है न ही उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा रहा है। 
क्रशरों द्वारा राजस्व की चोरी
क्रशर स्थल डायवर्सन क्षेत्रों से बाहर है जिससे राजस्व चोरी और व शासन की निर्धारित नियमों का खुला उल्लंघन उनके द्वारा किया जा रहा है।
पर्यावरण नियमों का खुला उल्लंघन
क्रशरों में कभी भी पानी का छिडकाव नहीं किया जाता, न ही वृक्षारोपण किया गया है, जिससे हमेशा धुल के गुब्बारे उडते रहते है जिससे क्षेत्रवासियों को कई गंम्भीर बिमारियों का सामना करना पड़ रहा है।
क्षेत्र के पेड़-पौधे पहचान मे नहीं आ रहे
क्रशरों से निकलने वाली धूल ने आसपास के वृक्षों को अपनी चपेट मे ले लिया है, पहचान तक नहीं आ रहा है कि कौन सा पौधा है? वहीं किसानों का कहना है की पानी का छिडक़ाव न होने और क्रशरों से निकलने वाले धूल की वजह से खेतों का उत्पादन क्षमता दिनों दिन घटता जा रहा है और पहले की आपेक्षा बहुत कम उत्पादन हो रहा है।

 

 

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