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07-Apr-2025 11:33:35 am
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पंचकूला : दलित दूल्हे के घोड़ी पर शादी बग्घी रोके जाने पर विवाद - 300 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में हुई शादी

पंचकूला । हरियाणा के पंचकूला जिले के मौली नामक एक छोटे से गांव में हाल ही में एक घटना ने समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव को उजागर किया। दलित युवक की शादी की खबर तब चर्चा में आई जब गांव वालों ने सिर्फ इसलिए बग्घी रोक दी क्योंकि दूल्हा घोड़ी पर सवार होकर आ रहा था।
घोड़ी बग्गी को लेकर हुआ विवाद
मामला पंचकूला जि़ले की तहसील रायपुर रानी के गांव मौली की है। गांव में दलित युवक शादी के लिए आया और वह शादी बघ्घी में सवार हुआ। लेकिन जैसे ही गांव वालों को इस बारे में पता चला, कुछ लोग नाराज हो गए। उन्हें लगा कि दलित युवक घोड़ी पर चढऩे के योग्य नहीं है। शादी से एक दिन पहले से ही इस मामले को लेकर बहस चल रही थी। पुलिस को सूचना दी गई, जिसने दोनों पक्षों में समझौता कराकर मामले को सुलझा लिया। हालांकि, शादी के दिन एक बार फिर मामला बिगड़ गया।
बढ़ता विवाद देख बुलानी पड़ी पुलिस
जब बारात और दूल्हा गांव की ओर बढ़े तो रास्ते में कुछ ग्रामीणों ने जबरन उनकी गाड़ी रोक ली। स्थिति बिगड़ गई और पुलिस को दोबारा सूचना दी गई। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए प्रशासन ने 300 से अधिक पुलिस अधिकारियों को मौके पर भेजा।
पुलिस ने किया ढाल का काम
पुलिस ने दूल्हे की गाड़ी को अपने कब्जे में लेकर बारात को बिना किसी नुकसान के गांव में पहुंचाया। दोपहर करीब एक बजे बारात गांव में पहुंची। रास्ते में कई ग्रामीण खड़े थे, लेकिन पुलिस हर मोड़ पर सतर्क थी।
कुछ युवकों ने हंगामा करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने सख्ती से स्थिति को संभाला। किसी भी तरह की हिंसा को रोकने के लिए हर मौके पर वीडियो रिकॉर्डिंग की गई।
भारी सुरक्षा के बीच विदाई
आखिरकार पुलिस की मौजूदगी में शादी की सभी रस्में शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुईं। शाम करीब छह बजे भारी सुरक्षा के बीच दूल्हा-दुल्हन की विदाई भी हुई। रायपुर रानी थाने के एसएचओ सोमवीर ढाका ने कहा, कुछ ग्रामीण दूल्हे के घोड़ी पर सवार होकर गांव में घूमने का विरोध कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया और शांतिपूर्ण तरीके से शादी संपन्न कराई। कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
घटना से खड़े हुए सवाल
यह घटना हमें एक बार फिर यह सवाल करने पर मजबूर करती है कि क्या हमारा समाज वाकई बदल रहा है। एक साधारण शादी, जिसमें घोड़ी पर सवार होना महज एक प्रथा है, दलित युवक के लिए विवाद का कारण बन जाना सामाजिक सोच पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
एक तरफ भारत दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक महाशक्ति बन रहा है, वहीं दूसरी तरफ जाति के आधार पर भेदभाव जैसी समस्याएं समाज की नींव को खोखला कर रही हैं। पंचकूला में यह घटना अकेले एक युवक की व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि समाज का प्रतिबिंब भी है - यह दर्शाता है कि सच्चा बदलाव सिर्फ कानून से नहीं, बल्कि नजरिए में बदलाव से आता है।

 

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