कोरबा 12 मार्च । औद्योगिक नगरी कोरबा में श्रम कानूनों का खुला उलंघन हो रहा है, खासकर असंगठित मजदूरों की अधिकारों का हनन किया जा रहा है जिसे रोकने के लिए श्रम विभाग अथवा प्रशासन भी पहल नहीं कर रहा है।
श्रम कानून के नियमों का पालन नहीं होने के कारण हजारों मजदूरों का बड़े पैमाने पर शोषण हो रहा है जिसे रोकने के लिए व्यापक कार्यवाही की जरूरत है। एसईसीएल की दीपका परियोजना में दर्जनों ठेका कंपनी विभिन्न कार्यों के लिए नियोजित हंै। 15-20 सालों से उन कंपनियों के अंदर लगभग 1000 कामगार काम करते हैं किन्तु ठेकेदारों की मनमानी और प्रबंधन के अधिकारियों की मिलीभगत से आज तक उनका विटीसी नहीं कराया गया है। इन मजदूरों को भविष्य निधि, मेडिकल सुविधा, सुरक्षा उपकरण, वेतन पर्ची आदि जैसी मुलभुत सुविधा भी मुहैय्या नहीं की गयी है। इसकी मांग को लेकर इन मजदूरों ने कई बार आवाज उठाई किंतु मांगों पर विगत 15 फरवरी को त्रिपक्षीय वार्ता के बाद निर्देश को पालन करने के बजाय उसी माह 40 मजदूरों को काम से हटा दिया गया। माकपा के जिला सचिव सपुरन कुलदीप ने बताया कि4 मार्च को कटघोरा एसडीएम के निर्देश पर दीपका तहसीलदार की उपस्थिति में एसईसीएल प्रबंधन ठेकेदार और श्रमिक के साथ वार्ता में लिए गए निर्णयों को लागू करने के बजाय पुन: 36 कामगारों को ठेका खत्म होने का बहाना लेकर काम पर लेने से मना कर दूसरे मजदूरों की भर्ती कर ली गयी। इस कार्यवाही से मुख्य नियोक्ता एसईसीएल और ठेकेदारों की सांठगांठ के खिलाफ मजदूरों के बीच गहरा आक्रोश व्याप्त होने लगा है।
मजदूरों ने अपनी समस्या के निराकरण के लिए माकपा से मदद की गुहार लगायी है जिसके बाद माकपा ने कोयला श्रमिक संघ सीटू के दीपका और गेवरा क्षेत्र पदाधिकारियों से मुलाकात कर इस मामले पर उचित कार्यवाही करने का अनुरोध किया है। विगत दिवस ऊर्जानगर सीटू कार्यलय में बैठक भी किया गया जिसमें केएसएस सीटू गेवरा के क्षेत्रीय अध्यक्ष विमल सिंह, सचिव जनाराम कर्ष, दीपका के सचिव डीएल टंडन, छत्तीसगढिय़ा ठेका मजदूर कल्याण संघ के अध्यक्ष अशोक कुमार, सचिव बसंत कुमार, खिलेश कुमार सहित अन्य सदस्यों की उपस्थिति में मजदूरों की बहाली की मांग और श्रम कानून के पालन कराने के लिए आगे की कार्यवाही का योजना बनाई गई है।