छत्तीसगढ़

11-Mar-2019 10:57:24 am
Posted Date

होली : रंग-गुलाल-पिचकारियों का सजा बाजार

रायपुर, 11 मार्च । होली पर्व को महज 09 दिन का समय शेष रह गया है। शहर के बाजारों में होली सामग्रियों के थोक बाजारों के साथ ही अब फुटकर बाजार में भी ग्राहकी शुरू हो गई है। इधर शहर के प्रमुख चौक-चौराहों में रंग-गुलाल-पिचकारियों के साथ ही नगाड़ों के एक्के-दुक्के दुकान भी सजने शुरू हो गए हैं। 
रंग पर्व होली के लिए महज 09 दिन का समय शेष रह गया है। 20 मार्च को होलिका दहन के साथ ही होली की मस्ती शुरू हो जाएगी। 21 मार्च को रंग पर्व होली धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। शहर के बाजारों में अब होली की खुमारी धीरे-धीरे चढऩे लगी है। शहर के बाजारों में होली सामग्रियों के थोक बाजार पखवाड़े भर पूर्व से सजकर तैयार हो गए हैं। विगत सप्ताह तक यहां फुटकर व्यापारियों द्वारा जमकर खरीदी की गई थी। थोक बाजारों में अभी भी फुटकर व्यापारियों की खरीदी जा रही है। रंग-गुलाल, पिचकारियों के थोक बाजार के साथ ही अब बाजारों में फुटकर दुकानें भी सजकर तैयार हो गई है। व्यापारियों की माने तो होली सामग्रियों के बाजार ने अब जोर पकडऩा शुरू किया है। फुटकर व्यापारियों द्वारा रंग-गुलाल और पिचकारियों की डिमांड पखवाड़े भर पूर्व से ही शुरू हो गई थी। अब लोकल स्तर पर भी रंग-गुलाल की डिमांड बढ़ रही है। शहर के बाजारों में रंग-गुलाल और पिचकारियों के फुटकर दुकानें सज कर रेडी हो गई हैं। शहर के गोलबाजार, चिकनी मंदिर, मालवीय रोड, शास्त्रीबाजार सहित अन्य प्रमुख बाजारों में होली की खुमारी देखा जा रहा है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी होली में बच्चों की पसंद को ध्यान में रखते हुए नए-नए वैराटियों की पिचकारियों की पूरी श्रृंखला उपलब्ध कराई गई है। गोलबाजार में रंग-गुलाल और पिचकारियों का थोक दुकान चलाने वाले एक व्यापारी ने बताया कि दिल्ली से इस बार पिचकारियों की नई वैराटियां आई है। इसमें पॉवर थ्रो पिचकारियां ज्यादा पसंद की जा रही है। इसके अलावा पारंपरिक पिचकारियों के अलावा कार्टून पात्र वाली पिचकारियां ज्यादा पसंद की जा रही है। 
नगाड़ों की डिमांड हुई कम :
इधर होली पर्व के नजदीक आते ही शहर में एक्का-दुक्का नगाड़ों की अस्थाई दुकान भी सज गई है। खैरागढ़ से प्रतिवर्ष नगाड़ा लेकर राजधानी पहुंचने वाले एक दुकानदार ने बताया कि साल-दर-साल नगाड़ों की डिमांड कम होती जा रही है। लोग अब होली में पारंपरिक रूप से फाग गाने के बजाए डीजे की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। इसके अलावा चमड़े की कीमत अधिक होने की वजह से भी नगाड़ों की कीमत बढ़ चुकी है। लिहाजा लोग अब नगाड़ों के प्रति ज्यादा आकर्षित नहीं होते। यही वजह है कि साल दर साल नगाड़ों की डिमांड कम होती जा रही है। 

Share On WhatsApp