विधायक श्री नायक भी शामिल हुए श्रीमद भागवत कथा में
सुदामा चरित्र, दत्तात्रय कथा, परिक्षित मोक्ष एवं चढ़ोत्री कथा आज
रायगढ़, 10 मार्च। देवांगन धर्मशाला में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठवे दिन श्रद्धेय पं. हरगोविन्द पाण्डेय जी महाराज ने अपने मुखारबिंद से उपस्थित श्रद्धालुओं को कृष्ण लीला एवं रूकमणी विवाह के बारे में विस्तार से बताया। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान आज शाम स्थानीय लोकप्रिय विधायक श्री प्रकाश नायक भी उपस्थित हुए उनके साथ श्री प्रधान, पूर्व पार्षद श्री प्रभात साहू एवं श्री मनीष देवांगन भी उपस्थित थे। कथा में मुख्य यजमान के रूप में युवा देवांगन समाज के सदस्य श्री पंकज देवांगन एवं उनकी धर्मपत्नी अल्पना देवांगन के द्वारा पूजन किया जा रहा है।
विधायक श्री नायक ने कहा कि इस पूण्य अवसर पर आकर मैं धन्य हो गया और आप सभी का मुझे आशीर्वाद मिला। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन से समाज की एकजुटता का परिचय मिलता है और हम सब पूण्य के भागी बनते है। समय-समय पर इस तरह का आयोजन हमेशा होते रहना चाहिए। इस मौके पर युवा देवांगन समाज के द्वारा देवंागन धर्मशाला के मुख्य गेट को मैरीन ड्राईव की तरह खोले जाने की मांग पर विधायक श्री नायक ने आगामी सत्र में बजट का प्रावधान देने की घोषणा भी की। उन्होंने युवा देवांगन समाज की एकजुटता की तारीफ की और कहा कि आज उन्होंने इस पूण्य अवसर पर मुझे बुलाया इसके लिए मैं उन्हें हार्दिक बधाई देता हूं। इस मौके पर हमारे ऊर्जावान जुझारू पूर्व पार्षद श्री प्रभात साहू ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे बहुत खुशी हो रही है कि हमारे मोहल्ले में युवा देवांगन समाज द्वारा श्रीमद भागवत कथा का आयोजन कराया जा रहा है, जिसके लिए युवा देवांगन समाज के सभी नवयुवक बधाई के पात्र है।
आज कथा के दौरान पं.हरगोविन्द पाण्डेय जी ने बताया कि भगवान कृष्ण तो माँ का लाड़ला था, जिनके संपूर्ण व्यक्तित्व में मासूमियत समाई हुई है। कहते तो लोग ईश्वर का अवतार हैं, पर वे बालक हैं। माँ से बचने के लिए कहते हैं, मैया मैंने माखन नहीं खाया। माँ से पूछते हैं, मां वह राधारानी इतनी गोरी क्यों और मैं क्यू काला, वे शिकायत करते हैं कि मैं मुझे दाऊ क्यों कहते है कि तूं मेरी मां नहीं है और इस तरह उनका पूरा बचपन नटखट और शरारत में गुजरा। महाराज ने रूकमणी विवाह का वर्णन करते हुए बताया कि रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदि नरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मी को पराजित करके दंडित किया। जिसके बाद श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया। महाराज 11 मार्च सोमवार को सुदामा चरित्र, दत्तात्रय कथा, परिक्षित मोक्ष एवं चढ़ोत्री के बारे में प्रसंग सुनायेंगे। कथा समाप्ति के पश्चात महिलाओं द्वारा गरबा डांस का आयोजन किया गया।