0-अयोध्या विवाद
नईदिल्ली,08 मार्च । अयोध्या विवाद में मध्यस्थता के मुद्दे पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकता है. इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद मध्यस्थता के लिए नाम सुझाने को कहा था. सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबडे ने कहा है कि इस मामले में मध्यस्थता के लिए एक पैनल का गठन होना चाहिए.
हिंदू महासभा मध्यस्थता के खिलाफ है. वहीं निर्मोही अखाड़ा और मुस्लिम पक्ष मध्यस्थता के लिए राजी है. मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ही तय करे कि बातचीत कैसे हो?
अभी तक अयोध्या मामले में 90,000 पन्नों की गवाही इक_ी की गई है. ये 90,000 पन्नें अलग-अलग भाषाओं में है जिसमें अरबी, संस्कृत, फ़ारसी जैसी भाषाओं में ये गवाही है. इसे इंग्लिश में ट्रांसलेट करके सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया है.
इससे पहले 26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह अगली सुनवाई में यह फैसला करेंगे कि इस मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा जाए या नहीं. सरकार ने रिट पिटीशन दायर कर विवादित जमीन को छोडक़र बाकी जमीन यथास्थिति हटाने की मांग की है. उन्होंने इसे रामजन्म भूमि न्यास को लौटाने को कहा है. सरकार ने कोर्ट से कहा है कि विवाद सिर्फ 0.313 एकड़ जमीन पर ही है. बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है, लिहाजा इस पर यथास्थिति बरकरार रखने की जरूरत नहीं है.
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन सहित 67 एकड़ जमीन पर यथास्थिति बनाने को कहा था. लेकिन, केंद्र के इस स्टैंड के बाद अयोध्या में विवादित स्थल का मामला सिर्फ 0.313 एकड़ भूमि तक ही अटक कर रह गया है.
दरअसल, 1993 में केंद्र सरकार ने अयोध्या अधिग्रहण एक्ट के तहत विवादित स्थल समेत आस-पास की करीब 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था. सुप्रीम कोर्ट ने इसी पर यथास्थिति बनाए रखने की बात कही थी. इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट की नई बेंच मंगलवार को सुनवाई करने वाली थी, लेकिन जस्टिस एसए बोबडे के छुट्टी पर जाने के कारण सुनवाई टल गई थी.