० लखनेश्वर मंदिर मे उमडती है महाशिवरात्रि मे भीड़
० वनवास के समय लक्ष्मण द्वारा पूजा करने पर हुए थे प्रगट
जांजगीर चांपा, 04 मार्च । जिला मुख्यालय जांजगीर से 35 किमी की दूर मे स्थित खरौद नगर स्थित हैं जिसे छत्तीसगढ़ राज्य के काशी नगरी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां प्रदेश मे सबसे ज्यादा मंदिर यही है। यहां स्थित विश्व विख्यात लक्ष्मणेश्वर (शिव) मंदिर यहां के लक्ष्मणेश्वर मंदिर के शिव जी पर लोगों की वैसी ही श्रद्वा हैै जैसी काशी मे विश्वनाथ या फिर उज्जैन मे महाकालेश्वर की।
खरौद नगर के लक्ष्मणेश्वर शिव का मंदिर इसलिए भी अनुठा है क्योकि यहां भोले शंकर शिव लिंग के रूप मे या मूूर्ति रूप नही बल्कि रूद्राक्ष के रूप मे नजर आते है। ऐसी मान्यता है कि पूरे विश्व मे एक मात्र मंदिर है। जहां रूद्राक्ष रूप मे शंकर की पूजा होती है। संरक्षण क अभाव मे यह संरक्षित ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने के कगार पर है। सावन माह मे महीने मे यहां देशभर के श्रद्वालु आते है। लक्ष्मणेश्वर मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि वनवास के समय लक्ष्मण जी ने यहां भगवान शंकर की आराधना की तो वे रूद्राक्ष रूप मे यहां प्रगट हुए। इसलिए मंदिर का नाम लक्ष्मणेश्वर मंदिर है। शिव के लक्ष्मणेश्वर होंने की दुसरी मान्यता है यह है कि वे यहां एक लाख मुख के साथ विराजे है। शिव की मूर्ति की आकृति रूद्राक्ष की तरह है मुर्ति के नीचे अथाह जल कुंड है। इससे बारहों महीने जलाभिषेक होता है लेकिन यहां का पानी का जल स्तर न तो बढ़ता है और न ही कम होता है। प्रति वर्ष सावन व महाशिवरात्रि मे श्रद्वालुओ ंद्वारा यहां एक लाख चावल चढाया जाता है ऐसी मान्यता है कि यहां एक लाख चावल चढ़ाने से मनोकामना पूर्ण होती है। सावन माह एंव महाशिवरात्रि में यहां मेला सा महौल रहता है जिससे श्रद्वालु दुर -दुर से यहां पैदल चलकर आते हैं।