रायपुर, 28 फरवरी । सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी 2019 को एक निर्णय वनाधिकार पट्टा निरस्तीकरण का दिया है। जिसके चलते 21 राज्यों के 20 लाख अदिवासी एवं अन्य निवासियों के बेदखली का मार्ग खुला है। उक्त निर्णय के खिलाफ छत्तीसगढ़ सर्वआदिवासी समाज द्वारा सभी जिला मुख्यालयों, संभाग मुख्यालयों एवं राजधानी मुख्यालय में रैली धरना प्रदर्शन कर सुप्रीम कोर्ट से अपने निर्णय पर पुर्नविचार का आग्रह किया जायेगा। रैली में 2 लाख से अधिक आदिवासी/वनवासी हिस्सा लेकर 27 जुलाई को राज्य सरकारों से सुप्रीम कोर्ट द्वारा मांगी गई रिपोर्ट में वनाधिकार कानून 2006 में निहित प्रावधानों को यथास्थिति बनाये रखने आग्रह करेगा। 9 मार्च को बुढ़ापारा धरना स्थल से 2 लाख आदिवासी/वनवासी समुदाय के सदस्यों द्वारा हाइवे जाम, चक्काजाम एवं रेल रोको आंदोलन किया जायेगा। उक्त जानकारी प्रेस क्लब रायपुर में आयोजित पत्रकारवार्ता में सर्वआदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष बी.पी. नेताम, पूर्व आईएएस अधिकारी, नवल सिंह मंडावी पूर्व आईएएस अधिकारी, फूलसिंह नेताम एवं विनोद नागवंशी ने संयुक्त रुप से दी। वार्ताकारों ने प्रेसवार्ता में बताया कि 13 फरवरी के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर जंगली जानवरों सहित आदिवासियों के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य शासन की ओर से अधिवक्ता 27 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ का पक्ष रखे जाने की बात प्रतिनिधि मंडल से कही है।
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