छत्तीसगढ़

28-Feb-2019 12:15:34 pm
Posted Date

छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक 2019 ध्वनिमत से पारित

० विनियोग के लिए 95 हजार 899 करोड़ रूपए की स्वीकृति
० मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा : हमारी विकास की परिभाषा है गांव, किसानों और मजदूरों के जीवन में सुधार लाना

रायपुर, 28 फरवरी । छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज 95 हजार 899 करोड़ रूपए के विनियोग विधेयक ‘छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक 2019‘ के प्रस्ताव को ध्वनिमत से स्वीकृत किया गया। इसके पहले विनियोग विधेयक पर अपनी बात रखते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि बजट में वर्ष 2019-20 में कुल व्यय 90 हजार 910 करोड़ रूपए का है, जिसमें से राजस्व व्यय 78 हजार 595 करोड़ रूपए और पंूजीगत व्यय 12 हजार 110 करोड़ रूपए का है। 
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य का वित्तीय घाटा 10 हजार 880 करोड़ रूपए का है, जो निर्धारित सीमा अर्थात जीएसडीपी के तीन प्रतिशत की सीमा से कम है। 31 मार्च 2018 की स्थिति में राज्य शासन पर लोक ऋण भार 39 हजार 30 करोड़ रूपए का है। आरबीआई रिपोर्ट 2018 के अनुसार छत्तीसगढ़ एवं ऋण तथा ब्याज भुगतान की दृष्टि से देश में सबसे बेहतर स्थिति वाला राज्य है। राज्य का ऋणभार जीएसडीपी का 17.4 प्रतिशत है, जो सभी राज्यों के औसत 23.2 प्रतिशत से बहुत कम है। छत्तीसगढ़ में ऋणों के ब्याज भुगतान पर जीएसडीपी का 1.1 प्रतिशत भाग व्यय है, जबकि सभी राज्यों का औसत 1.7 प्रतिशत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में वित्तीय अनुशासन को बनाकर रखा गया है। 
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि हमारे लिए विकास की परिभाषा गांव, किसानों और मजदूरों के जीवन में सुधार लाना है, बिल्डिंग, पुल-पुलिया और कांक्रीट के जंगल खड़े करने के नाम पर आदिवासियों को उनकी जमीन से उजाडऩा नहीं है। हमारी सरकार ने किसानों और गांवों के कल्याण के लिए ऋण लिया है। राज्य में किसानों के अल्पकालिक कृषि ऋण को माफ किया गया और ढाई हजार रूपये प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीदी की गई। इन फैसलों से गांव और किसान को लाभ मिला है। उन्होंने यह भी कहा कि हमने कोल्हाननाला जैसे पुल को निर्माण के समय अनावश्यक रूप से ऊंचा उठाकर अधिक राशि व्यय करने या मोबाइल फोन बांटने जैसे कार्यों के लिए ऋण नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने शिक्षाकर्मियों के संविलियन का जो कार्य किया उसका भुगतान भी हमारी सरकार द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने रायपुर-बिलासपुर मार्ग को बनने में लगे वर्षों की अवधि के साथ-साथ स्काई वॉक योजना की प्रक्रिया में ली गई लम्बी अवधि की भी आलोचना की।
मुख्यमंत्री ने वन अधिकार पट्टों के संबंध में सदन को आश्वस्त करते हुए कहा कि वनवासियों और जंगलों में परपंरागत रूप से रहने वाले लोगों के अधिकारों का हनन नहीं होने दिया जाएगा, उनका जो वाजिब अधिकार है उसे दिलाकर रहेंगे। उन्होंने बताया कि पिछले सरकार के दौरान वन अधिकार पट्टों के लिए आठ लाख 55 हजार व्यक्तिगत दावे किए गए थे, जिनमें से चार लाख 51 हजार पट्टों के दावे को अमान्य कर दिया गया था। उनकी सरकार अमान्य किए गए चार लाख 51 हजार पट्टें दावों का फिर से परीक्षण कराएगी, जिससे जंगल में रहने वाले आदिवासी भाई-बहनों और परम्परागत रूप से वन में रहने वाले लोगों का हक उन्हें मिल सके। उन्होंने कहा कि वन अधिकार पट्टों के सामुदायिक दावों के रूप में केवल आंगनबाड़ी, स्कूल और मरघट के लिए पट्टे दिए गए। वास्तव में सामुदायिक दावों का और अधिक विस्तार हो सकता है। उनका भी परीक्षण कर सामुदायिक वन पट्टे दिलाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा वन पट्टों का वितरण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। सीतापुर, मैनपाट में हजारों लोगों को वन अधिकार पट्टे प्रदाए किए गए हैं। हाल ही में सांसद श्री राहुल गांधी ने लोहाण्डीगुड़ा क्षेत्र में वन अधिकार पट्टे वितरित किए हैं। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि चिटफंड कंपनियों में एजेंट के रूप में काम कर रहे छत्तीसगढ़ के युवाओं और नागरिकों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज की गई, उन्हें जेल में डाल दिया गया। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के ऐसे युवाओं के विरूद्ध प्रकरणों को वापस लेने का निर्णय लिया है। जिन लोगों ने चिटफंड कंपनियों में पैसे लगाए थे, उनके पैसे वापस दिलाने के लिए राज्य सरकार सजग और तत्पर है। वर्तमान में पी.ए.सी.एल. लिमिटेड के निवेशकों की धन वापसी हेेतु एक मार्च से ऑनलाईन आवेदन लेने की प्रक्रिया राज्य में प्रारंभ की जा रही है। इसी तरह दूसरी चिटफंट कंपनियों के संबंध में भी कार्रवाई की जाएगी। 
श्री बघेल ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार की आउटसोर्सिंग नीति ने आरक्षण की व्यवस्था को खत्म किया गया। इससे बस्तर के आदिवासियों का हित मारा गया। आउटसोर्सिंग में लगे लोगों को शासन द्वारा 18 हजार रूपए की राशि दी जाती थी, लेकिन उन्हें केवल 14 हजार या 10 हजार रूपए की राशि मिलती थी। उनकी सरकार का दर्शन है कि शासकीय खजाने से निकला पूरा पैसा हितग्राही को मिलना चाहिए। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी की अवधारणा ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूती देने के लिए है। यह योजना ग्रामीण विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी। विभिन्न विभागों जैसे कृषि, पशुपालन, वन तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग आदि में इसके कार्यों के क्रियान्वयन के लिए पहले से ही बजट की राशि मौजूद है। विभागों के बीच समन्वय बढ़ाने, कार्यों को सही दिशा देने और ईमानदार प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा ग्रामीण परिवेश से कटा व्यक्ति ही ऐसे महत्वपूर्ण कार्यों को मजाक में ले सकता है या उसका उपहास कर सकता है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेद की बात है कि वैज्ञानिक सोच के अभाव के कारण गांवों में जलस्त्रोत अवरूद्ध हो गए हैं। कॉन्क्रीटीकरण तथा पानी के आने वाले प्राकृतिक मार्ग बंद होने से हमारे तालाब भर नहीं पाते और जल्दी सूख जाते हैं। इसका असर खेती-किसानी पर पड़ा है, पिछले 15 सालों में राज्य पिछड़ गयी है, राज्य कांक्रीट का जंगल बन गया है और किसान आत्महत्या तक करने को मजबूर हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए हार्टीकल्चर यूनिवर्सिटी खोलेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यानिकी फसलों के विस्तार को बढ़ावा देगी। छत्तीसगढ़ में जमीन की कमी नहीं है। हमारी नीति है कि यहां अच्छी खेती हो, कृषि आधारित उद्योग लगें जिससे यहां के युवाओं को रोजगार मिले। 
श्री बघेल ने कहा कि प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए पिछली सरकार द्वारा देश- विदेश में करोड़ों रूपए के एम ओ यू करने किए गए, लेकिन राज्य में उद्योग नहीं लगे। उन्होंने कहा कि जिन कम्पनियों के साथ एम ओ यू किए गए थे, किन्तु उद्योग नहीं लगाए गए, उनके साथ छत्तीसगढ़ में उद्योग लगाने की दृष्टि से बैठक की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार द्वारा उद्योगपतियों से सुझाव लेकर राज्य की नई उद्योग नीति 2019 बनायेगी। नई उद्योग नीति में कृषि आधारित उद्योगों पर जोर दिया जाएगा, जिससे किसानों की उनकी उपज का अच्छा लाभ मिले, आदिवासियों उजडऩे नहीं, क्षेत्र का विकास हो और स्थानीय युवाओं को रोजगार मिले। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंडित नेहरू ने उद्योगों को आधुनिक तीर्थ स्थल से सम्बोधित किया था। खेद की बात है कि बालको सार्वजनिक क्षेत्र के संयंत्र को निजी हाथों में बेच दिया। बस्तर का नगरनार संयंत्र जब लगभग 60 प्रतिशत बना था, तब इसे भी निजी हाथों में देने की चर्चा थी। जिसका उनके द्वारा विरोध किया गया था। श्री बघेल ने कहा कि हाल ही में लोहाण्डीगुड़ा क्षेत्र में किसानों को इस्पात संयंत्र नहीं बनने पर उनकी अधिग्रहित जमीन वापस की गई, लेकिन इसके साथ ही इसी कार्यक्रम में हमने कोण्डागांव में फूडपार्क मक्का प्रोसेसिंग संयंत्र के लिए भूमिपूजन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक न्याय की बात है हमने झीरम घाटी की जांच के लिए एस आई टी का गठन किया है। राज्य सरकार की सहमति से ही केन्द्र सरकार की एनआईए ने जांच की है, लेकिन इसके जांच के बिन्दुओं में षडय़ंत्र संबंधी जांच किए जाने का कोई बिन्दु नहीं है। एनआईए ने अपनी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में जमा कर दी है, लेकिन एनआईए ने खुद माना है कि उसके द्वारा आधे से अधिक गवाहों से पूछताछ नहीं की गई है। उन्होंने कहा एसआईटी के गठन और एनआईए जांच में किसी प्रकार की टकराहट नहीं है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि घटना के तह तक जाएं। 
श्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विधायक निधि को पहले ही एक करोड़ से बढ़ाकर दो करोड़ रूपए कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने आज सदन में विधायकों की जनसम्पर्क निधि को भी तीन लाख रूपए से बढ़ाकर 10 लाख करने की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि शासकीय आयोजनों में क्षेत्रीय विधायकों और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के मान-सम्मान का पूरा ध्यान रखा जाएगा और प्रोटोकाल का पालन किया जाएगा। 

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