छत्तीसगढ़

26-Feb-2019 12:55:24 pm
Posted Date

स्वाईन फ्लू: रोकथाम एवं बचाव के अलर्ट जारी

कोरबा 26 फ रवरी । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. बी.बी. बोर्डे ने जिले में स्वाईन फ्लू के रोकथाम एवं बचाव हेतु आम नागरिकों को सतर्क रहने के साथ आवश्यक उपाय बताया गया है। उन्होने बताया कि  यह बीमारी एच1 एन1 इंफ्लूएंजा वायरस के कारण होता है, प्रभावित मरीजों में अधिकतर वयस्क होते हैं, यह वायरस सवंमित वायू कण एवं सवंमित वस्तुओं के द्वारा फैलता है, संक्रमण अवधि एक से सात दिवस तक होती है, संक्रमण की अवधि बच्चों में सात दिवस से अधिक हो सकती है एवं बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं को संक्रमण का खतरा अधिक होता है, एच1एन1 इंफ्लूएंजा वायरस के जीवाणु सख्त सतह पर 24 से 48 घंटे, प्लास्टिक पर 24 घंटे, कपड़े या टीषु पेपर पर 8 से 12 घंटे एवं आद्रता 28 डिग्री सेंटीग्रेड 82 डिग्री फे. तक जीवित रहते हैं। टाइप ए.बी.सी. (एच1एन1) 1 से 7 घंटे तक जीवित रह सकते हैं। 
लक्षण:- तेज बुखार, उपरी श्वसन तंत्र संक्रमण, खांसी, नाक बहना, गले में खराष, सिरदर्द, बदन दर्द, थकावट, दस्त एवं उल्टी भी हो सकती है। जटिलताएं:- निमोनिया, दमा जैसी बीमारी, बेहोषी, रक्तचाप में गिरावट, झटके। मरीजों का वर्गीकरण (लक्षण आधारित) संदेहास्पद मरीज:- तीव्र ज्वर के साथ श्वसन तंत्र का संक्रमण, सात दिवस के भीतर स्वाईन फ्लू के मरीज से संपर्क करें, सात दिवस के भीतर स्वाईन फ्लू प्रभावित क्षेत्र का भ्रमण। संभावित मरीज:- उपरोक्त लक्षणों के अलावा किसी मरीज को इंफ्लूएंजा ए अथवा आईएफए पॉजिटिव हो, चिकित्सकीय लक्षण के आधार पर संदेहास्पद मरीज की मृत्यु हुई हो, पाजीटिव मरीज से निकट संबंधित हो। किसको मानेंगे स्वाईन फ्लू पाजिटिव:- यदि कोई संदेहास्पद मरीज डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित लेबोरेटरी, बीएसएल 2 अथवा बीएसएल 3 लेबोरेटरी से रिपोर्ट पाजीटिव हो, पी.सी.आर. रिपोर्ट पाजीटिव हो, वायरल कल्चर पाजीटिव हो, पेन्डेमिक स्वाईन फ्लू एंटीबाडी चार गुना बढ़ी हो। स्वाईन फ्लू की रोकथाम, बचाव एवं  उपचार हेतु मरीजों का वर्गीकरण:- कैटेगरी ए - समान्य मरीज जिन्हें साधारण बुखार के साथ खांसी अथवा गले में खराश, बदन दर्द, सिरदर्द, डायरिया एवं उल्टी की शिकायत हो, सामान्यत: ऐसे मरीजों को स्वाईन फ्लू की जांच एवं ओसेल्टामीविर से ईलाज की आवश्यकता नहीं होती, कैटेगर ए के मरीज घर पर ही रहे एवं भीड़ वाले सार्वजनिक स्थलों पर आवाजाही न करें, घर के अन्य सदस्यों जैसे छोटे बच्चे गर्भवती महिला एवं बुजुर्ग के सीधे संपर्क में न आवे, ऐसे मरीजों को 24 से 48 घंटे तक चिकित्सक की निगरानी में होना चाहिए। कैटेगरी बी - कैटेगरी ए में उल्लेखित लक्षणों के अतिरिक्त यदि मरीज को तेज बुखार एवं गले में अधिक खराश हो, बच्चे, गर्भवती महिलाएं 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के बुजुर्ग जिन्हे हृदय रोग, श्वसन संबंधी रोग,  लीवर पीडि़त, किडनी, डायबिटीज, एचआईव्ही एवं कैंसर आदि से पीडि़त हों, ऐसे मरीजों को चिकित्सक की सलाह पर स्वाईन फ्लू से बचाव की दवा ली जानी चाहिए, सामान्यत: ऐसे मरीजों को स्वाईन फ्लू की जांच की आवश्यकता नहीं होती है। कैटेगरी सी - कैटेगरी ए एव ंबी के अतिरिक्त यदि मरीज को सांस लेने में अधिक तकलीफ, छाती में दर्द, सांस लेने में अधिक तकलीफ, छाती में दर्द, रक्तचाप में गिरावट तथा खून के साथ बलगम आने व नाखूनों का नीला पडऩे के लक्षण हों, बच्चों में फ्लू के लक्षण के साथ ही रेड फ्लेग लक्षण पाये जाने पर मरीज का एच1एन1 पुष्टि हेतु टेस्ट कराया जाना चाहिए, मरीज को अस्पताल में भर्ती होकर समुचित उपचार लिया जाना चाहिए। 
बचाव हेतु उपाय:- भीड़ वाली सार्वजनिक स्थलों पर जाने से बचें, संक्रमित व्यक्ति से बिना सुरक्षा उपाय नहीं होने पर एक मीटर की दूरी बनाकर रखें, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के पूर्व अपने मुंह एवं नाक पर कवर का प्रयोग करें, हाथों को नियमित रूप से साबून से धोयें, सर्दी खांसी से पीडि़त सदस्यों से बच्चों की दूरी बनाये रखें, केटेगरी बी एवं सी मरीजों के संपर्क में आने पर व्यक्तिगत सर्विलेंस किया जावे, केटेगरी बी के लक्षण होने पर उम्र के अनुसार चिकित्सक की सलाह पर दवाई ली जावे। 

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