छत्तीसगढ़

26-Feb-2019 12:50:03 pm
Posted Date

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के 637 करोड़ 44 लाख 78 हजार रूपए की अनुदान मांगे ध्वनि मत से पारित

० ग्रामीण नलजल योजना के लिए जनसंख्या की बाध्यता समाप्त 
रायपुर, 25 फरवरी । आज विधानसभा में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार द्वारा प्रस्तुत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के 637 करोड़ 44 लाख 78 हजार रूपए अनुदान मांगे ध्वनि मत से पारित की गई। विधानसभा में गुरू रूद्रकुमार ने कहा कि राज्य की अधिकांश आबादी पेयजल के लिए मुख्य रूप से भूगर्भीय स्रोत पर निर्भर है। वर्षा जल के संचयन एवं भू-जल संवर्धन योजनाओं के साथ ही सतही जल स्रोतों का उपयोग प्राथमिकता से किया जाएगा। राज्य में उपलब्ध सीमित संसाधनों का उपयोग करते हुए सभी के सहयोग एवं भागीदारी से आने वाली पीढ़ी को शुद्ध एवं पर्याप्त जल उपलब्ध कराने हेतु हम दृढ़ संकल्पित हैं। 
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ने कहा कि ग्रामीण जल प्रदाय कार्यक्रम के अंतर्गत शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रदेश में जल प्रदाय योजनाएं पूर्ण की जा रही है। ग्रामीण जल प्रदाय कार्यक्रम के अंतर्गत हैण्डपंप योजना, नलजल योजना, सोलर आधारित हैण्डपंप योजना के माध्यम से ग्रामीण जनता को पेयजल उपलब्ध कराए जा रहे हैं। हैण्डपंप योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में 64 करोड़ 50 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। इस कार्य हेतु 45 रिंग मशीनों से नलकूप खनन का कार्य कराया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में हैण्डपंप संधारण हेतु 33 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों की पेयजल से संबंधित शिकायतों की त्वरित सूचना से अवगत कराए जाने के लिए टोल फ्री नंबर 18002330008 की व्यवस्था है, जिस पर विभाग द्वारा त्वरित निराकरण किया जाता है। उन्होंने बताया कि 21 फरवरी 2019 तक टोलफ्री के माध्यम से 1040 शिकायतों के विरूद्ध 814 शिकायतों का निराकरण किया गया।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ने कहा कि राज्य में नलजल क्रियान्वयन हेतु जनसंख्या की सीमा की बाध्यता को समाप्त कर दी गई है। अब छोटे-बड़े गांव में नलजल योजना का कार्य संपादित किए जाएंगे। ग्रामीण नलजल प्रदाय योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2019-20 के बजट में 61 करोड़ 90 लाख का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि विभाग राज्य मद से 12 समूह जल प्रदाय योजनाओं एवं निक्षेप मद से 6 समूह जल प्रदाय योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। समूह नलजल प्रदाय योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में 112 करोड़ 85 लाख का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार शालाओं में पेयजल व्यवस्था के लिए 50 हजार 622 हैण्डपंपों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र की शासकीय शालाओं में पेयजल व्यवस्था विभाग द्वारा की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों की शासकीय शालाओं में पेयजल व्यवस्था के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 में 12 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। 
साढ़े छह हजार से अधिक सोलर पंप स्थापित
मंत्री रूद्रकुमार ने बताया कि विभाग ने एक अभिनव प्रयोग किया है, जिसके अंतर्गत सोलर पेनल पर आधारित पॉवर पंप एवं हैण्डपंप एक साथ कार्य करते हैं। यह योजना विशेष कर उन बसाहटों एवं शालाओं के लिए बहुत उपयोगी है, जहां विद्युत व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। सुदूर वनांचल क्षेत्रों में सौर ऊर्जा आधारित पेयजल योजनाओं के लिए नाबार्ड पोषित योजना के अंतर्गत ग्रामीण पेयजल योजनाओं का निर्माण कार्य हेतु वर्ष 2019-20 के लिए 15 करोड़ 50 लाख रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। राज्य में अब तक 6 हजार 622 सोलर पंपों के माध्यम से जल प्रदाय किया जा रहा है। 
लोक स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 90 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के विभिन्न अवयवों के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 में 90 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। 
गरीबों के लिए नई नलजल योजना
मंत्री गुरू रूद्रकुमार ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बीपीएल परिवारों को मुफ्त नल कनेक्शन प्रदान करने हेतु मिनीमाता अमृत-धारा नल योजना के रूप में नवीन योजना प्रारंभ की जा रही है, जिसमें 10 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए किया गया है। इस योजना से राज्य के 39.9 प्रतिशत अर्थात 78 लाख जनसंख्या एवं 33 लाख परिवार गरीबी रेखा के नीचे आते हैं, जो इस योजना से सीधे लाभान्वित होंगे। राजीव गांधी सर्वजल योजना के रूप में दूसरी नवीन योजना का शुभारंभ अगले वित्तीय वर्ष से किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत दुर्ग संभाग के साजा समूह जल प्रदाय योजना में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वाटर फिल्टर स्थापित कर पैकेज्ड वॉटर उपलब्ध कराए जाने की योजना बनाई गई है। इस कार्य हेतु वित्तीय वर्ष  2019-20 के बजट में 2 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। 
मुख्यमंत्री चलित संयंत्र पेयजल योजना
प्राकृतिक आपदा की स्थिति में पेयजल संकट उत्पन्न होने पर जलजनित बीमारी फैलने की स्थिति में शुद्ध पेयजल प्रदाय करने मुख्यमंत्री चलित संयंत्र पेयजल योजना प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है, जिसके अंतर्गत रायपुर, बिलासपुर और बस्तर संभाग में मोबाइल वॉटर यूरीफायर संयंत्र के माध्यम से शुद्ध जल प्रदाय करने हेतु 5 करोड़ रूपए का बजट वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए प्रावधान किया गया है। 
सुपेबेड़ा में जल प्रदाय योजना
ग्राम सुपेबेड़ा में उत्पन्न गंभीर संकट को दूर करने के उद्देश्य से जिला गरियाबंद के विकासखण्ड देवभोग अंतर्गत तेल नदी से पानी लाकर ग्राम सुपेबेड़ा हेतु शुद्ध पेयजल प्रदान करने हेतु आगामी वित्तीय वर्ष 2019-20 में योजना प्रारंभ की जाएगी, जिसकी अनुमानित लागत 10 करोड़ रूपए है। इस कार्य हेतु वित्तीय वर्ष 2019-20 में एक करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। 
गिरौदपुरी धाम समूह जल प्रदाय योजना
जिला बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के विकासखण्ड कसडोल अंतर्गत गिरौदपुरी में समूह जल प्रदाय योजना प्रारंभ की जाएगी, जिसकी अनुमानित लागत 90 करोड़ रूपए है। इस कार्य हेतु वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में पांच करोड़ का प्रावधान है। इस योजना से आसपास के गांवों के लगभग 40 से 50 हजार लोग लाभान्वित होंगे। 
राज्य के आंगनबाड़ी, प्राथमिक एवं उपस्वास्थ्य केन्द्रों में नलकूप खनन एवं रनिंग वॉटर उपलब्ध कराने हेतु इस वित्तीय वर्ष में एक नवीन योजना प्रारंभ की जा रही है। इसके लिए 10 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान वित्तीय वर्ष 2019-20 में किया गया है। राजधानी के पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय परिसर एवं डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर के जल प्रदाय व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण हेतु अनुमानित लागत दो करोड़ रूपए है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में एक करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। जिला दुर्ग के विकासखण्ड दुर्ग के अंतर्गत चन्दखुरी-कोलिहापुरी समूह नल जल प्रदाय योजना अनुमानित लागत रूपए 9 करोड़ 48 लाख रूपए है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में एक करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। 
मंत्री  रूद्रकुमार ने भूजल के अत्यधिक दोहन से भूजल में गिरावट के साथ ही जल की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। सरकार द्वारा पेयजल का परीक्षण पर अधिक जोर दिया जा रहा है। ंजल गुणवत्ता से प्रभावित बसाहटों में शुद्ध पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु प्रदेश में 3488 आयरन रिमूव्हल प्लांट, 573 फ्लोराइड रिमूव्हर प्लांट एवं खारे पानी से प्रभावित बसाहटों हेतु 129 आर.ओ. प्लांट लगाये गये हैं। प्रगतिरत नगरीय जल प्रदाय योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए 70 प्रतिशत अनुदान राज्य शासन का एवं 30 प्रतिशत शासकीय ऋण की नीति निर्धारित है। इसके क्रियान्वयन हेतु 67 करोड़ 74 लाख 57 हजार रूपए का बजट प्रावधान वित्तीय वर्ष 2019-20 में किया गया है। शासकीय ऋण उपलब्ध कराने के लिए इस वर्ष के बजट में 78 करोड़ 40 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। 

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