0 सदस्यों ने ध्याकर्षण सूचना में उठाया संयुक्त पंजीयक सहकारिता सरगुजा के खिलाफ मामला
रायपुर, 25 फरवरी । छत्तीसगढ़ विधानसभा में चालू बजट सत्र के दौरान आज डॉ. पीतम राम, बृहस्पति सिंह, पारसनाथ राजवाड़े की ध्यानाकर्षण सूचना के संबंध में जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ के सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित अम्बिकापुर के संबंध में तत्कालीन संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं रायपुर के पत्र दिनांक 2 अपै्रल 2018 के अनुसार बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा संचालक मंडल की बैठक 3 मई 2018 को आहूत की गई थी, परंतु संचालक मडल की बैठक 3 फरवरी 2018 को आयोजित की गई। इस बैठक में संचालक मंडल द्वारा छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाईटी अधिनियम 1960 की धारा 53-ख (1) के तहत रामदेव राम को अध्यक्ष पद से तीन वर्ष के लिए निरर्हित करने का आदेश 3 अपै्रल 2018 को जारी किया गया। मुख्य कार्यपालन अधिकारी संचालक मंडल का पदेन संचिव होता है तथा उनका दायित्व संचालक मंडल की बैठक आयोजित करना, पारित निर्णय को लिपिबद्ध करना तथा उसे कार्यान्वित करना होता है।
उन्होंने कहा कि बैंक का उक्त प्रकरण न्यायालय अपर पंजीयक सहकारी संस्थाएं छत्तीसगढ़ रायपुर के समक्ष विचाराधीन है। इस प्रकरण में न्यायालय के आदेन 11 जनवरी 2019 द्वारा जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित अम्बिकापुर के संचालक मंडल की बैठक 3 अपै्रल 2018 के प्रभाव को आगामी आदेश तक स्थगित किया गया है, जिससे पुन: रामदेव राम अध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि विभागीय पदोन्नति समिति के द्वारा वरिष्ठता एवं निर्धारित मापदंड में पात्र पाये जाने पर तत्कालीन संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं सरगुजा की पदोन्नति अपर पंजीयक के पद पर पदस्थापना मुख्यालय में रिक्त पद पर की गई है। अतएव आज आम जनता में किसी प्रकार का असंतोष व्याप्त नहीं है।
अपने ध्यानाकर्षण सूचना में सदस्यों ने जानना चाहा कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक अम्बिकापुर के निर्वाचित अध्यक्ष को बहुमत की तथा विधि विधान की घोर उपेक्षा कर दिनांक 3 मई 2018 को हटा दिया गया। ऐसे अवैधानिक कार्य करने वाले अधिकारी के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करने के बजाए विभाग द्वारा उसे पदोन्नत करके मुख्यालय में पदस्थ कर दिया गया है। संयुक्त पंजीयक सहकारिता सरगुजा ने अपने ही आदेश दिनांक 2 अपै्रल 2018 के पालन में बुलवाई गई संचालनालय मंडल सहकारिता बैंक की बैठक को एक दिन पहले कराकर स्वयं उस बैठक में उपस्थित रहकर फोरम के बिना ही अध्यक्ष को पद से हटाने का निर्णय कराया जो अपने आप में एक अद्वितीय घटना है। उक्त घटना ने पूरे राज्य के सहकारिता आंदोलन के कार्यकर्ताओं को झकझोर कर रख दिया है। ऐसे अधिकारी के विरूद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए। अवैधानिक कार्यवाही करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाने से आम जनता में असंतोष व्याप्त है।