मनोरंजन

02-Jul-2017 4:12:48 pm
Posted Date

कॉमिडी को लोग मजाक समझ लेते हैं: रितेश

ऐक्टर रितेश देशमुख अपनी नई फिल्म बैंकचोर में एक बार फिर कॉमिडी करते नजर आए। रितेश ने हमसे मुलाकात में अपनी प्रफेशनल और पर्सनल लाइफ पर खुलकर बात की। पेश है उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश...
आपने और जेनेलिया ने साथ करियर शुरू किया था। आप अब भी ऐक्टिंग कर रहे हैं, जबकि वे फैमिली पर फोकस कर रही हैं। आपको नहीं लगता कि उन्हें भी करियर पर ध्यान देना चाहिए?
बिल्कुल। मुझे हमेशा लगता है कि जेनेलिया को ऐक्टिंग करनी चाहिए। मैं हमेशा उन्हें कहता हूं कि वो आगे काम करें, लेकिन अभी बच्चे छोटे हैं, इसलिए वो उन्हें टाइम देना चाहती हैं। मैं खुद उनके साथ काम करना चाहूंगा। आपने कॉमिडी फिल्में खूब की हैं। इस फिल्म को साइन करते वक्त ये नहीं लगा कि यार, एक और कॉमिडी फिल्म? एक और कॉमिडी फिल्म वाली बात नहीं है। इससे पहले मैंने 'बैंजोÓ की थी। ऐसा नहीं है कि कॉमिडी मैं बिल्कुल छोड़ दूंगा। इंफैक्ट, ये काफी अलग ह्यूमर है मेरे लिए। इसका ह्यूमर हाउसफुल या धमाल या फिर मस्ती की तरह नहीं है। ये सिचुएशनल ह्यूमर है। इसकी लिखावट अलग है। मैं बैंक रॉबरी की फिल्म हमेशा से करना चाहता था। इसमें एक बैंक में तीन चोर, जो इडियट्स हैं, किस तरह गलतियां करते जाते हैं, उसमें ह्यूमर है। इसके अलावा जब विवेक आते हैं तो इसमें एक थ्रिल भी जुड़ता है। कई ऐक्टर्स ये कहते हैं कि कॉमिडी बहुत मुश्किल है। फिर भी उसे वो सम्मान नहीं मिलता। आपकी इस पर क्या राय है? मुश्किल है या आसान, ये नहीं पता लेकिन ये सही है कि इंडस्ट्री में सम्मान ड्रामा, थ्रिलर और रोमांस को दिया जाता है। जहां पर लोग हंसने लगते हैं तो वो मजाक बन जाता है। जबकि लोगों को हंसाने में काफी सारा कॉमर्स जुड़ा होता है। इसलिए तो टीवी पर भी कॉमिडी शोज की टीआरपी ज्यादा आती है। कॉमिडी की कलैक्शन भी ज्यादा होती है। फ्रैं चाइज जो है, ज्यादातर कॉमिडी फिल्मों की बनी है, वो चाहे धमाल हो, मस्ती हो, गोलमाल हो, हाउसफुल हो या वेलकम हो, ये सारी कॉमिडी फिल्में है। कॉमिडी फिल्में लोग एंजॉय करते हैं। फिर भी इसमें इज्जत नहीं मिलती है। बेस्ट एक्टर अवॉर्ड कभी कॉमिडी करने वाले को नहीं मिलता है। आपकी इस सोच के पीछे क्या वजह लगती है और अवॉर्ड क्या मायने रखते हैं आपके लिए? वजह तो जो लोग अवॉर्ड देते हैं, वही बता पाएंगे। अभी एमटीवी ने एक नया अवॉर्ड निकाला है, बेस्ट ऐक्टर अवॉर्ड, कोई मेल या फीमेल नहीं, सिर्फ एक बेस्ट ऐक्टर है। ये बहुत अच्छा है मेरे हिसाब से। इसमें शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, आलिया भट्ट, रणवीर सिंह, सब एक कैटेगरी में हैं। कोई लिंगभेद नहीं है। आखिर हम सब ऐक्टिंग कर रहे हैं। रही बात अवॉर्ड मिलने की तो अवॉर्ड मिलता है तो अच्छा लगता है, क्योंकि आप मेहनत से फिल्म बनाते हैं। अवॉर्ड नहीं मिलता है तो भी ठीक है। ऐसी खबर आई थी कि छठी क्लास की मराठी के कोर्स में आप पर एक चैप्टर रखा जाएगा। कितनी सच्चाई है इसमें? मुझे पता नहीं है कि इसमें कितनी सच्चाई है। वैसे मुझे नहीं लगता कि मैं ये डिजर्व करता हूं या मैंने ऐसा कुछ अचीव कर लिया है कि लोगों को मेरे बारे में पढ़ाया जाना चाहिए या मुझसे सीखना चाहिए। मुझसे कहीं बेहतर लोग हैं जिनसे आप सीख सकते हैं। जैसा आपने कहा कि आपको नहीं लगता कि आपने अभी ऐसा कुछ अचीव कर लिया है कि लोग आपसे सीख सकें। आप अपने अब तक के करियर को कैसे देखते हैं? ये दो अलग बातें हैं। मैं बीस साल बाद भी यही सोचूंगा कि मुझसे कहीं बेहतर लोग हैं, जिसके बारे में पढ़ाया जाना चाहिए या लिखा जाना चाहिए। इसका ये मतलब नहीं है कि मैंने कम या ज्यादा हासिल कर लिया है। मैंने जो किया है, उससे बहुत खुश हूं। मैंने तो यही सोचा था कि पहली फिल्म के बाद ही कुछ नहीं होगा। इसलिए अगर 14-15 साल से मैं यहां पर हूं तो यही मेरे लिए एक अचीवमेंट है। ठीक है अगर मेरी फिल्में नहीं चली हैं, लेकिन ऐसी पांच फिल्में होंगी, जिसने सौ करोड़ से ज्यादा का धंधा किया है, वो मेरे लिए अचीवमेंट है।

Share On WhatsApp