छत्तीसगढ़

20-Feb-2019 9:47:13 am
Posted Date

निर्वाचन गतिविधियों में सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग ने बढ़ाई निष्पक्षता और पारदर्शिता

० मतदाता सूची संशोधन के ऑनलाइन आवेदनों से निराकरण हुआ तेज
० सूचना प्रौद्योगिकी के नोडल अधिकारियों तथा जिला सूचना अधिकारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न

रायपुर, 20 फरवरी । निर्वाचन गतिविधियों में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। लोकसभा निर्वाचन की तैयारियों के सिलसिले में आईटी से जुड़े विभिन्न तकनीकी पहलुओं को लेकर प्रदेश भर के सभी नोडल अधिकारियों, जिला सूचना अधिकारियों तथा आईटी प्रोग्रामरों का आज एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इस अवसर पर उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी  उज्जवल पोरवाल ने कहा कि आईटी के कारण निर्वाचन गतविधियों में तेजी आई है तथा निर्वाचन में निष्पक्षता और पारदर्शिता भी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में नाम जोडऩे से लेकर मतगणना तक की पूरी प्रक्रिया आईटी आधारित सिस्टम से संचालित हो रही है। ऐसे में इससे जुडक़र कार्य कर रहे सभी अधिकारियों को अद्यतन जानकारी से लैस होना आवश्यक है। ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान, निमोरा में आयोजित प्रशिक्षण में सहायक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी  रूपेश वर्मा, ट्रेनर  विनोद अगवाले समेत अन्य प्रशिक्षकों ने निर्वाचन में सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न प्रयोगों के विषय में जानकारी दी। 
मास्टर ट्रेनर  रूपेश वर्मा ने बताया कि इलेक्टोरल रोल मेनेजेंट सिस्टम (ईआरएमएस) के तहत मतदाता सूची में संशोधन, नाम जुड़वाना अथवा विलोपित करवाना अधिक आसान हुआ है। ऑनलाइन सेवा शुरू होने से मतदाता के साथ ही मतदाता रजिस्ट्रार की टीम के लिए भी सूची में संशोधन करना आसान हुआ है। उन्होंने बताया कि मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के बाद भी सूची में नाम जोड़े जाएंगे तथा अन्य संशोधन किए जाएंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि नाम हटाने का काम अंतिम सूची प्रकाशन के बाद सिर्फ भारत निर्वाचन आयोग की अनुमति के बाद ही संभव होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची तैयार होने के बाद ये सुनिश्चित किया जाए कि शहरी क्षेत्र में एक मतदान केन्द्र में 14 सौ तथा ग्रामीण क्षेत्र के मतदान केन्द्र में 13 सौ से अधिक मतदाता न हो। अधिक होने की ऐसी स्थिति में सहायक मतदान केन्द्र बनाए जाएंगे। उन्होंने आदर्श आचार संहिता उल्लंघन की शिकायत सीधे आमजन से प्राप्त करने के लिए तैयार की गई सी-विजिल मोबाइल एप्लिकेशन के विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राज्य में विगत विधानसभा निर्वाचन के दौरान आमजन ने इस एप्लिकेशन का बेहतर उपयोग किया जिससे आदर्श आचरण संहिता उल्लंघन को रोकने में काफी मदद मिली थी।
उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी  उज्जवल पोरवाल ने बताया कि प्रशिक्षण के छह सत्रों के दौरान इन्फॉर्मेशन टेक्नोलाजी (आईटी) के विशेषज्ञों ने निर्वाचन कार्य में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न आईटी सॉफ्टवेयर तथा एप्लीकेशनों के समन्वित उपयोग के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लोकसभा निर्वाचन के दौरान सुविधा, समाधान सॉफ्टवेयर के साथ ही इलेक्शन मानिटरिंग डैश बोर्ड, मतगणना के लिए जेनेसिस काउंटिंग एप्लीकेशन, सी-टाप्स वेब कास्टिंग, ईटीपीबीएस, एन.जी.एस. सहित आईटी से जुड़े अन्य विषय भी शामिल थे। सुविधा एप्लिकेशन के माध्यम से निर्वाचन में हिस्सा ले रहे प्रत्याशी को नामांकन से लेकर प्रचार के लिए रैली, जुलूस समेत अन्य अनुमतियाँ प्राप्त होती हैं साथ ही मतगणना में भी इस एप्लिकेशन का उपयोग किया जाता है। सर्विस मतदाताओं (निर्वाचन कार्य में लगे अधिकारी तथा कर्मचारी) के लिए इलेक्ट्रानिकली ट्रांस्मिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ईटीपीबीएस) के संचालन के संबंध में आवश्यक मार्गदर्शन दिया गया। इसी तरह प्रशिक्षण में मतदान दलों की रवानगी से लेकर मतदान केन्द्र की हर पल की जानकारी प्राप्त करने के लिए तैयार की गई सी-टाप्स एप्लिकेशन की भी जानकारी दी गयी।

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