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19-Feb-2019 1:46:18 pm
Posted Date

आरबीआई से पिछले दो वित्त वर्षों का सरप्लस भी चाहती है सरकार

नई दिल्ली ,19 फरवरी । वित्त मंत्रालय ने कैलकुलेशन करके बताया था कि आरबीआई ने रिस्क और रिजर्व के नाम पर वित्त वर्ष 2017 और 2018 में 27,380 करोड़ रुपये अपने पास रखे थे। मंत्रालय चाहता है कि वह इस रकम को भी ट्रांसफर करे। आरबीआई ने सोमवार को अपने बयान में कहा, यह लगातार दूसरा साल है, जब रिजर्व बैंक इंटरिम सरप्लस ट्रांसफर कर रहा है। पिछले वित्त वर्ष में आरबीआई ने मार्च में 10 करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश सरकार को दिया था। इसके साथ वित्त वर्ष 2018 में डिविडेंड की कुल रकम 40,659 करोड़ रुपये पहुंच गई थी।
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अगुवाई में आरबीआई के इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क की समीक्षा के लिए एक समिति भी बनाई गई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को मीडिया से कहा था, डॉ बिमल जालान के नेतृत्व में बनी समिति ने इस पर काम शुरू कर दिया है। इस मीडिया ब्रीफिंग में दास के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली भी मौजूद थे। 
बजट में आरबीआई से अंतरिम लाभांश का अनुमान लगाया गया था। वित्त वर्ष 2019 के संशोधित अनुमान में आरबीआई, सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 74,140 करोड़ रुपये मिलने की बात कही गई थी। पहले बजट अनुमान में इसके 54,817 करोड़ रुपये रहने की बात कही गई थी। 
अधिक डिविडेंड मिलने से सरकार को गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) कलेक्शन में हुई कमी की भरपाई करने में मदद मिलेगी। 1 फरवरी को पेश बजट में सरकार ने इसके 1 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया था। केंद्र को कॉर्पोरेट टैक्स से 50 हजार करोड़ रुपये मिलने की भी उम्मीद है। वहीं, इस वित्त वर्ष में छोटे और सीमांत किसानों को कैश ट्रांसफर स्कीम पर उसे 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। सरकार ने वित्त वर्ष 2019 के संशोधित अनुमान में फिस्कल डेफिसिट के जीडीपी के 3.4 पर्सेंट रहने की बात कही थी, जबकि बजट में इसके लिए 3.3 पर्सेंट का लक्ष्य तय किया गया था।

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