छत्तीसगढ़

22-Jun-2024 10:15:57 am
Posted Date

थैलेसीमिया बीमारी के संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने दी जानकारी

रायगढ़।  सीएमएचओ डॉ.बी.के.चंद्रवंशी ने थैलेसीमिया बीमारी से बचाव एवं उसके लक्षण के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि थैलेसीमिया से निपटने के लिये समय पर इसका पता लगाना और रोकथाम सबसे प्रभावी रणनीति है। अभी भी बहुत से लोग इस बीमारी और इससे बचाव के तरीको से अनजान है यह जरूरी है कि इस क्षेत्र के सभी निवेशक थैलेसीमिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में इन रोगो सें प्रभावित बच्चों के उपचार में सहायता की एक अनूठी सीएसआर पहल शुरू की है।
नोडल अधिकारी डॉ. नेहा. गोयल एवं जिला कार्यक्रम प्रबंधक रंजना पैंकरा ने बताया कि थैलेसीमिया यह एक वंशानुगत रक्त विकार है जिसके कारण आपके शरीर में सामान्य से कम हिमोग्लोबिन होता है। हिमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं को ऑक्सीजन ले जाने में सक्षम बनाता है जिससे थैलेसीमिया भी एनीमिया का कारण बन सकता है जिससे आपको थकान हो सकती है। इसमें थकान, कमजोरी, पीलापन और धीमी रफ्तार से विकास, पूरे शरीर में कमजोरी, खून की कमी जैसे लक्षण होते है यह एक दुलर्भ और दु:साध्य रोग है जिसमें रोगी का जीवन बचाने के लिये आजीवन बारम्बार रक्त की आवश्यकता पड़ती है और अन्य महंगे चिकित्सीय उपाय करने पड़ते है इसी पर अनुमानित भारत में 10,000 से भी अधिक थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चे जन्म लेते है इसी प्रकार हर वर्ष 9400 लोगो में एप्लास्टिक एनीमिया की पुष्टि होती है ये रोग स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं पर बड़ा बोझ डालने के साथ-साथ प्रभावित परिवारों पर विशेष रूप से ग्रामीण और निर्धन पृष्ठभूमि वाले वाले परिवार पर भावनात्मक मनोवैज्ञानिक और आर्थिक बोझ डालते है। इन रोगों का स्थायी इलाज है हिमेटोपॉइटिक स्टेम सेल ट्रंासप्लांटेशन (एचएससीटी)जिसे बोनमैरो ट्रांसप्लांट बीएमटी)भी कहते है। साथ ही यदि बीएमटी छोटी आयु में किया जाये तो उपचार अधिक सफल होता है। बाल सेवा योजना नामक परियोजना हेतु तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिये थैलेसीमिक्स इंडिया को नामित किया गया है। सी आई एल सार्वजनिक क्षेत्र की पहली कंपनी है जिसने थैलेसीमिया के स्थायी इलाज के लिए 2017 में एक सीएसआर परियोजना शुरू की थी। देश भर में फैले ग्यारह प्रमुख अस्पतालों में बोन मैरो ट्रंसप्लांट के लिए पात्र रोगियो को 10 लाख तक की वित्तीय सहायता दी जाती है वर्ष 2021 से इस योजना को विस्तार देकर एप्लास्टिक एनीमिया को भी इसमें शमिल कर लिया गया है। अब तक थैलेसीमिया और एप्लास्टिक एनीमिया रोगियों के लिये 520 से भी अधिक ट्रांसप्लांट किए जा चुके है।
थैलेसीमिया का इलाज के लिये प्रक्रिया फ्लोचार्ट पोर्टल थैलेसीमिया इंडिया /अस्पताल/ कोल इंडिया लि. के पास दस्तावेज जमा करना-थैलेसीमिक्स इंडिया द्वारा दस्तावेजो का सत्यापन- सभी प्रकार पूर्ण आवेदन जाँच समिति को भेजे जाते है- ट्रांसप्लांट  के लिये जानकारी अस्पताल और रोगी के परिवार को दी जाती है- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अनुमोदन-जाँच और अनुशंसा इसमें पात्रता:- थैलेसीमिया पूर्णत: मेलित सहोदर दाता (फुली मैच्ड सिबलिंग डोनर, एमएसडी) थैलेसीमिया अधिकतम 12 वर्ष, थैलेसीमिया मेलित असंबंधी दाता(मैच्ड अनरिलेटेड डोनर, एमयूडी) अधिकतम 12 वर्ष अधिकतम 8 लाया प्रति वर्ष, एप्लास्टिक अनीमिया अधिकतम 18 वर्ष कोल इंडिया के टीबीएसवाय पोर्टल पर आए बोन मैरो ट्रांसप्लंाट के लिये सहभागी अस्पताल एम्स, नई दिल्ली, सीएमसी, वेल्लोर, टाटा मेडिकल सेंटर, कोलकाता, राजीव गाँधी कैंसर संस्थान, नई दिल्ली, नारायण हद्वयालय बगलुरू, एसजीपीजीआई लखनऊ , सीएमसी लुधियाना, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल, मुबंई, एमसीजीएम-सीटीसी,पीएचओ एवं बीएमटी सेंटर,मुंबई र्फोटिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीटयूट, गुरूग्राम में नि:शुल्क उपचार किया जा रहा है।

 

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