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12-Jun-2024 10:52:12 pm
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ओला इलेक्ट्रिक के आईपीओ को मिली मंजूरी, 7,250 करोड़ रुपये जुटाने की योजना

नईदिल्ली। भवीश अग्रवाल की इलेक्ट्रिक वाहन स्टार्टअप ओला इलेक्ट्रिक को 7,250 करोड़ रुपये के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से मंजूरी मिल गई है। इस मामले से अवगत सूत्रों ने यह जानकारी दी। ओला इलेक्ट्रिक आईपीओ लाने वाली देश की पहली इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी होगी।
सूत्रों ने कहा कि सेबी से मंजूरी मिलने और बाजार में तेजी को देखते हुए कंपनी एक महीने के भीतर अपना आईपीओ ला सकती है।
मगर स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। इस मुद्दे पर जानकारी के लिए बार-बार कोशिश करने के बावजूद कंपनी से संपर्क नहीं हो सका। इस आईपीओ के तहत 5,500 करोड़ रुपये तक के ताजा शेयर जारी किए जाएंगे। इसके अलावा इसमें ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के तहत करीब 1,750 करोड़ रुपये मूल्य के 9.5 करोड़ से अधिक शेयर शामिल होंगे।
ओला के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी भवीश अग्रवाल आईपीओ के तहत करीब 4.74 करोड़ शेयर यानी करीब 3.48 फीसदी हिस्सेदारी बेचेंगे।
आईपीओ के जरिये अपनी हिस्सेदारी बेचने वाले अन्य शेयरधारकों में इंडस ट्रस्ट, अल्पाइन अपॉर्चुनिटी फंड, डीआईजी इन्वेस्टमेंट, इंटरनेट फंड 3 (टाइगर ग्लोबल), मैकरिची इन्वेस्टमेंट्स, मैट्रिक्स पार्टनर्स, सॉफ्टबैंक विजन फंड, अल्फा वेव वेंचर्स और टेकने प्राइवेट वेंचर्स शामिल हैं।
ओला इलेक्ट्रिक का आईपीओ कुछ कारणों से अनोखा है। पिछले कई दशकों में यह पहला अवसर होगा जब कोई दोपहिया वाहन बनाने वाली कंपनी अपने आईपीओ के साथ पूंजी बाजार में दस्तक देगी। इसके अलावा अग्रवाल पहली बार किसी कंपनी को सूचीबद्ध कराने जा रहे हैं। कंपनी 7 से 8 अरब डॉलर के मूल्यांकन का लक्ष्य रख रही है।
ओला इलेक्ट्रिक ने 2017 में ईवी कारोबार में दस्तक दी थी और वित्त वर्ष 2024 में 35 फीसदी से अधिक बाजार हिस्सेदारी के साथ वह इस बाजार की अग्रणी कंपनी बन चुक है। वाहन पोर्टल के अनुसार, ओला इलेक्ट्रिक की बाजार हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023 में 21 फीसदी से बढ़ी है।
आईपीओ दस्तावेज के अनुसार, कंपनी जुटाई जाने वाली रकम का उपयोग ऋण बोझ घटाने के अलावा पूंजीगत खर्च और अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) मद में करेगी। कंपनी पूंजीगत व्यय मद में 1,226 करोड़ रुपये और ऋण अदायगी मद में 800 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसके अलावा आरऐंडडी मद में 1,600 करोड़ रुपये और कारोबार के विकास पर 350 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
कंपनी का कुल राजस्व वित्त वर्ष 2022 में 456 करोड़ रुपये के मुकाबले 510 फीसदी बढक़र 2,782 करोड़ रुपये हो गया। मगर कंपनी का शुद्ध घाटा भी बढक़र वित्त वर्ष 2023 में करीब 1,472 करोड़ रुपये हो गया।

 

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