छत्तीसगढ़

07-Jun-2024 12:54:31 pm
Posted Date

हसदेव अरण्य में हो रही पेड़ों की कटाई पर लगाई जाए रोक

० नेता प्रतिपक्ष डा चरणदास महंत ने राज्यपाल को लिखा पत्र
कोरबा   छत्तीसगढ़ विधानसभा नेता प्रतिपक्ष डा चरणदास महंत ने राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को पत्र लिख कर हसदेव अरण्य कोल फील्ड के सभी कोल ब्लाक से उत्खनन व वृक्षों के कटाई की गतिविधियों पर रोक लगाने एवं कूट रचित उत्तरदायित्व व्यक्तियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध करने की मांग की है।
विधानसभा नेता प्रतिपक्ष डा महंत ने पत्र में कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा परसा कोल ब्लाक में उत्खनन के लिए अनुमति हासिल करने के लिए फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव पास करने के ग्रामीणों के आरोपों की जांच की गई हैं। इस जांच में आयोग ने ग्राम सभा की फर्जी कार्यवाही के आरोपों को प्राथमिक रूप से सही पाते हुए परसा कोल ब्लाक में खनन हेतु कोई भी अग्रिम कार्रवाई न करते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश 30 मई 2024 को किया है। उन्होंने कहा कि ग्राम सभाओं की बैठकों में प्रस्ताव प्रस्तुत किए बिना तथा प्रस्ताव पारित हुए बिना ही कूट रचना करके कार्रवाई विवरणों में प्रस्ताव पारित होने का उल्लेख करना गंभीर आपराधिक मामला है जिसे षडय़ंत्रपूर्वक अंजाम दिया गया है।डा महंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ विधान सभा में 26 जुलाई 2022 को सर्व सम्मति से यह अशासकीय संकल्प स्वीकृत किया गया था कि इस सदन का मत है कि हसदेव क्षेत्र में आबंटित सभी कोल ब्लाक रद्द किया जाए। संपूर्ण हसदेव अरण्य कोल फील्ड (जिसमें परसा कोल ब्लाक शामिल है, पर संविधान की पांचवीं अनुसूची प्रभावी है और इसलिए इस क्षेत्र में पंचायत अनुबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा) लागू है। इस अधिनियम में क्षेत्र की प्रत्येक ग्राम सभा के द्वारा सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए योजनाओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं का अनुमोदन किया जाए। परंतु परसा कोल ब्लाक के मामले में इसका पालन नहीं किया गया। इसके अलावा भूमि का अर्जन करने तथा परियोजना से प्रभावित व्यक्तियों को फिर से बसाने या उनको पुनर्वासित करने के संबंध में भी पालन नहीं किया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली तथा उच्चतम न्यायालय के आदेशों के पालन में कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा हसदेव अरण्य कोल फील्ड की आइसीएफआरई तथा वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया से जांच करवाई गई। इसका प्रतिवेदन राज्य सरकार को 2022 में प्राप्त हो चुका है, परंतु इस प्रतिवेदन की अनुशंसाओं की उपेक्षा कर राज्य द्वारा कोयला उत्खनन की गतिविधियों को आगे बढ़ाया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ विधान सभा सामान्य निर्वाचन, 2023 की मतगणना का परिणाम आने के पश्चात और नई सरकार का गठन होने के पहले ही 11 दिसंबर 2023 को हसदेव अरण्य के उपरोक्त कोल फील्ड में 91.130 हेक्टेयर वन क्षेत्र में 15307 नग वृक्षों के विदोहन की अनुमति अधिकारियों द्वारा अनाधिकृत रूप से जारी कर दी गई, जो अवैधानिक है। उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि, राज्य सरकार न तो संविधान का सम्मान कर रही है, न विधान सभा के संकल्प का सम्मान कर रही है, न अनुसूचित जनजातियों के हितों के प्रति गंभीर है, न पेसा के प्रविधानों का पालन कर रही है और न वन क्षेत्रों के बायोडायवर्सिटी की चिंता है। राज्य सरकार का एक मात्र लक्ष्य है किसी भी दशा में कोयला का उत्खनन होने देना, जिससे किसी बाहरी कंपनी विशेष को अत्यधिक लाभार्जन होगा। प्रभावित हजारों वनवासियों के द्वारा लंबी अवधि से कोयला उत्खनन के विरूद्ध आंदोलन किया जा रहा है।

 

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