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31-May-2024 9:33:58 pm
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भारतीय रिज़र्व बैंक ने ब्रिटेन से वापस मंगाया 100 टन सोना, 1991 के बाद पहली बार मंगाया इतना ज्यादा गोल्ड

नईदिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1991 के बाद से पहली बार ब्रिटेन से 100 टन से ज़्यादा सोना वापस भारत लाकर अपने भंडार में रखा है। सूत्रों के मुताबिक, आने वाले सालों में भी ऐसा किया जा सकता है। अभी तक आरबीआई का ज़्यादातर सोना (आधे से ज़्यादा) विदेशों में, खासकर ब्रिटेन के बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स में सुरक्षित रखा जाता था। बचा हुआ सोना भारत में ही रखा जाता है। इस सोने को वापस लाने से आरबीआई को ब्रिटेन के बैंक को चुकाने वाले भंडारण शुल्क की बचत भी होगी।
आरबीआई के सालाना आंकड़ों के अनुसार, मार्च 31, 2024 तक भारत के पास विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में कुल 822.10 टन सोना था, जो कि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 794.63 टन सोने से ज़्यादा है। 1991 में, चंद्र शेखर सरकार ने भुगतान संकट से निपटने के लिए विदेशी बैंकों के पास 46.91 टन सोना गिरवी रखा था।
करीब 15 साल पहले, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 200 टन सोना खरीदा था। 2009 में, मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए, यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान, भारत ने अपनी संपत्ति में विविधता लाने के लिए 6.7 बिलियन डॉलर मूल्य का 200 टन सोना खरीदा था।
पिछले कुछ वर्षों में, रिज़र्व बैंक द्वारा खरीदारी के माध्यम से सोने के भंडार में लगातार वृद्धि हुई है। रिज़र्व बैंक के भंडार में सोना रखने का मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति और विदेशी मुद्रा जोखिमों के खिलाफ बचाव के रूप में अपनी विदेशी मुद्रा संपत्ति के आधार में विविधता लाना है। आरबीआई ने दिसंबर 2017 से नियमित रूप से बाजार से सोना जमा करना शुरू कर दिया है। देश के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी दिसंबर 2023 के अंत में 7.75 प्रतिशत से बढक़र अप्रैल 2024 के अंत तक लगभग 8.7 प्रतिशत हो गई है।
देश के भीतर, सोना मुंबई के मिंट रोड पर आरबीआई की इमारत के साथ-साथ नागपुर में भी तिजोरियों में रखा जाता है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक केंद्रीय बैंकों के पास अब तक खनन किए गए सभी सोने का लगभग 17 प्रतिशत स्वामित्व है, जिसमें वर्ष 2023 के अंत तक भंडार 36,699 मीट्रिक टन  तक पहुंच गया है। उन्होंने 2010 में धातु के शुद्ध खरीदार बनने के बाद पिछले 14 वर्षों में इसका अधिकांश हिस्सा हासिल कर लिया।

 

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