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17-Feb-2019 12:26:54 pm
Posted Date

जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण की दौड़ में एनबीसीसी आगे, सुरक्षा एसेट रिकंस्ट्रक्शन पिछड़ी

नई दिल्ली ,17 फरवरी । सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी दिवालिया एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता प्रक्रिया के तहत जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण की दौड़ में आगे निकल गई है। कंपनी ने प्रतिद्वंद्वी सुरक्षा एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी से अधिक की बोली लगाई है। बोलियां शनिवार को सार्वजनिक की गईं। दोनों बोलीदाताओं को जेपी के कर्जदाताओं के साथ मकान के खरीदारों के समक्ष सोमवार को विस्तृत प्रेजेंटेशन देना होगा। समाधान पूरा होने में हालांकि एक माह के आसपास वक्त लग सकता है, क्योंकि कर्जदाता बैंक दोनों बोलीदाताओं की योजनाओं पर गौर कर विभिन्न मानदंडों पर उनकी रेटिंग करेंगे।
सूत्रों ने कहा कि एनबीसीसी ने आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व वाले कर्जदाताओं को 1,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने की पेशकश की है, जिन्होंने प्रॉजेक्ट को 9,800 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। एनबीसीसी ने कर्जदाताओं के साथ लैंड डील के जरिये 3,000 करोड़ रुपये का लोन चुकता करने के साथ ही मकान के खरीदारों के लिए 2,150 करोड़ रुपये अलग से रखने की भी पेशकश की है।
एनबीसीसी की योजना की सबसे अहम बात ताज एक्सप्रेसवे को ग्रुप से अलग कंपनी मानना है। इससे 2,000 करोड़ रुपये का ताजा कर्ज लेने में मदद मिलेगी, जिनमें से 1,000 करोड़ रुपये प्रॉजेक्ट को पूरा करने में जाएंगे और बाकी रकम कर्ज का बोझ कम करने के लिए कर्जदाताओं को दिए जाएंगे। एनबीसीसी को 4 साल में प्रॉजेक्ट पूरा करना है।
जेपी इंफ्राटेक के पास हाउजिंग प्रॉजेक्ट के अलावा ताज एक्सप्रेसवे और जेपी हॉस्पिटल हैं। एक्सप्रेसवे से टोल टैक्स के रूप में राजस्व आता है। दूसरे बोलीदाता सुरक्षा एआरसी ने बैंकों को 10 करोड़ रुपये अग्रिम देने की पेशकश की है, जबकि प्रॉजेक्ट को पूरा करने के लिए 3,000 करोड़ रुपये देने की पेशकश की है। इसने डेट-एसेट स्वैप प्लान के तहत 5,000 करोड़ रुपये के लोन का भुगतान करने की भी पेशकश की है। इसकी योजना तीन साल में फ्लैट का निर्माण पूरा करने की है।

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