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अक्टूबर से जर्मनी में फेसबुक, यूट्यूब और 20 लाख यूजऱ वाली अन्य वेबसाइटों को नफऱत फैलाने या अन्य आपराधिक सामग्री को 24 घंटे के अंदर अपने प्लेटफार्म से हटाना अनिवार्य हो जाएगा। पोस्ट की गई सामग्री ग़ैरकानूनी नहीं है, उसके बारे में सात दिन के अंदर कंपनियों को मूल्यांकन करना होगा, यह अपनी तरह का दुनिया का सबसे कड़ा क़ानून है। अगर कंपनी इस क़ानून को लागू करने में असफल होती है तो उस पर 50 लाख यूरो का ज़ुर्माना लगेगा और अपराध की गंभीरता के आधार पर इसे पांच करोड़ यूरो तक बढ़ाया जा सकता है। फ़ेसबुक ने एक बयान जारी कर कहा है कि वो नफऱत फैलाने वाली सामग्रियों को रोकने के लिए जर्मन सरकार के साथ मिल कर काम करती रही है, लंबी बहस के बाद नेट्सडीजी नामक इस क़ानून को जर्मन संसद ने पास कर दिया है। हालांकि मानवाधिकार संगठनों और उद्योग प्रतिनिधियों ने इसकी आलोचना की है। यह क़ानून सितंबर में होने जा रहे जर्मनी के आम चुनावों के पहले लागू नहीं हो पाएगा। कानून मंत्री हीको मास ने फेसबुक का का नाम लेते हुए कहा कि अनुभव बताता है कि बिना राजनीतिक दबाव के बड़े सोशल मीडिया ऑपरेटर ग़ैरकानूनी सामग्रियों को हटाने में अपने कर्तव्यों का ठीक से पालन नहीं करते।
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