छत्तीसगढ़

14-Apr-2024 3:29:11 am
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निराई माता के दर्शन में हजारों की रहेगी भीड़, नवरात के पहली रविवार को मनाया जाता है जात्रा

गरियाबंद। जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर  ग्राम मोहरा से लगे माता निराई धाम में रविवार के सुबह पांच बजे से ही हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ दर्शन को लेकर जमा हो गया था।ज्ञात हो कि जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर ग्राम मोहेरा के सैकड़ो फिट ऊपर विराजमान माता निराई पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में अपनी प्रसिद्धि लिए हुए जहाँ लोग अपनी मिन्नत लेकर वर्ष भर आते है और मिन्नत पूरी होने पर चैत्र नवरात के पहले रविवार को जात्रा मनाया जाता है उस अवसर पर भक्त अपनी श्रद्धा से नारियल नींबू दसमत फूल और फल चढ़ाकर अपनी आस्था प्रकट करते है।उसी के तहत आज नवरात का पहला रविवार होने के चपते हजारों लोग सुबह पांच बजे से ही माता के दर्शन और प्रसाद चढ़ाने  माता के स्थान में जुटे दिखेंगे।
निराई माता का पहला दर्शन-साल में सिर्फ 5 घंटे के लिए खुलता है ये मंदिर,स्वयं प्रज्जवलित होती है ज्योत,
 देश के अन्य मंदिरों में जहां दिन भर माता रानी के दर्शन होते हैं,वहीं यहां माता निराई  में सुबह 4 से 9 बजे तक यानी केवल 5 घंटे ही माता के दर्शन किए जा सकते हैं।केवल 5 घंटे के लिए खुलने वाले मंदिर में दर्शन करने हर साल हजारों लोग पहुंचते हैं।इस देवी मंदिर की विशेषता यह है कि यहां हर साल चैत्र नवरात्र के दौरान स्वत: ही ज्योति प्रज्वलित होती है। इस दैवीय चमत्कार की वजह से लोग देवी के प्रति अपार श्रद्धा रखते हैं।
बिना तेल और घी के जलता है इस मंदिर में नौ दिन ज्योत
निराई माता का मंदिर जहाँ स्वयं प्रज्जवलित होती है। ज्योत निराई माता का मंदिर जिसकी खासियत यह है कि हर साल चैत्र नवरात्रि के दौरान देवी स्थल पहाडिय़ों में अपने आप से नौ दिन ज्योत प्रज्वल्लित होती है। ज्योत कैसे प्रज्वल्लित होती है,यह आज तक एक रहस्य बना हुआ है.अपने आप प्रज्जवलित होने वाली ज्योत को लेकर लोगों की मान्यता है कि यह सब निराई देवी का ही चमत्कार है इसलिए चैत्र नवरात्रि में पूरे नौ दिन तक बिना तेल घी के ही ज्योत जलती रहती है।यह एक प्राचीन मंदिर है निरई माता मंदिर।यह मंदिर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित है।जिला मुख्यालय से 10 कि.मी. दूर सोढूल,पैरी नदी के तट पर बसे ग्राम पंचायत मोहेरा के आश्रित ग्राम निरई की पहाड़ी पर विराजमान निरई  माता श्रद्धालुओं एवं भक्तों का आस्था व आकर्षण का केंद्र है।यह मंदिर देवी भक्तों की आस्था का मुख्य केंद्र है।निरई माता मंदिर में सिंदूर, सुहाग, शृंगार, कुमकुम, गुलाल, बंदन नहीं चढ़ाया जाता है,वही नारियल और अगरबत्ती से माता को मनाया जाता है।
माता पर लोगों का अटूट विश्वास
इस पहाड़ी पर बसनेवाली माता निराई के लिए लोगों में अपार श्रद्धा और विश्वास है।इस मंदिर में महिलाओं को प्रवेश और पूजा-पाठ की इजाजत नहीं हैं,यहां केवल पुरुष पूजा-पाठ की रीतियों को निभाते हैं.महिलाओं के लिए इस मंदिर का प्रसाद खाना भी वर्जित है,खा लेने पर कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती है.
निरई माता मनोवांछित फल देने वाली माता
माना जाता है कि निरई माता मनोवांछित फल देने वाली हैं।प्राकृतिक छटा के बीच चारों ओर फैली पर्वत शृंखलाओं व पर्वत की चोटी पर स्थित निरई माता भक्तों को भय एवं दुखों से दूर रखती है।माता की बुराई या शराब सेवन किए हुए व्यक्ति को मधुमक्खियों का कोप भाजन बनना पड़ता है।वर्ष में एक दिन ही माता निरई के दरवाजे आम लोगों के लिए खोले जाते हैं।
साल में सिफऱ् 5 घंटे होते है माता के दर्शन
यह मंदिर अंचल के देवी भक्तों की आस्था का मुख्य केंद्र है।निरई माता में सिंदूर,सुहाग,श्रृंगार,कुमकुम, गुलाल,बंदन नहीं चढ़ाया जाता।नारियल,अगरबत्ती,से  माता को मनाया जाता हैं।देश के अन्य मंदिरों में जहां दिन भर मातारानी के दर्शन होते हैं वहीं यहां सुबह 4 बजे से सुबह 9 बजे तक यानि केवल 5 घंटे ही माता के दर्शन किए जा सकते हैं।केवल 5 घंटे के लिए खुलने वाले मंदिर में दर्शन करने हर साल हजारों लोग भोर होने के पूर्व ही इस स्थान में पहुंचते हैं।इन सब के साथ चैत्र नवरात्र के पहले रविवार से माता निराई के नाम से जात्रा पर्व प्रारम्भ होता है जिसमे भक्त अपनी मिन्नत पूरी होंने पर प्रसाद चढाने आते है जिसके चलते आज रविवार को इस स्थान में हजारों की संख्या में लोगो की भीड़ रही।बहरहाल भक्तों की भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम भी किए जाते हैं ताकि भीड़ को काबू में करने के साथ लोगो के आने जाने के लिए सडक़ सुरक्षा भी हो सके।माता के चमत्कार की गाथा ही भक्तों को उनके दरबार तक खींच लाती है।

 

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