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11-Apr-2024 4:41:53 am
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तेजी से बढ़ रहा धरती का तापमान, मार्च 2024 रहा अब तक का सबसे गर्म महीना

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नई दिल्ली। यूरोपीय संघ की जलवायु एजेंसी ने आज बताया कि अल नीनो और मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के संयुक्त प्रभाव के कारण मार्च 2024 अब तक का सबसे गर्म महीना रहा. यह पिछले साल जून से लगातार दसवां महीना है जिसने तापमान का नया रिकॉर्ड बनाया है.
कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा ने कहा कि मार्च में औसत तापमान 14.14 डिग्री सेल्सियस था, जो 1850-1900 के पूर्व-औद्योगिक संदर्भ अवधि के औसत से 1.68 डिग्री सेल्सियस अधिक है.
यह मार्च 1991-2020 के औसत से 0.73 डिग्री सेल्सियस और मार्च 2016 में बने पिछले उच्चतम तापमान से 0.10 डिग्री सेल्सियस अधिक था.
पिछले 12 महीनों (अप्रैल 2023-मार्च 2024) का वैश्विक औसत तापमान भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. यह 1991-2020 के औसत से 0.70 डिग्री सेल्सियस और 1850-1900 के पूर्व-औद्योगिक औसत से 1.58 डिग्री सेल्सियस अधिक है.
कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा ने कहा कि जनवरी में पहली बार पूरे एक साल के लिए वैश्विक औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर गया. हालांकि, पेरिस समझौते में निर्दिष्ट 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा का स्थायी उल्लंघन कई वर्षों में दीर्घकालिक तापमान वृद्धि को संदर्भित करता है.
जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए देशों को वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक काल से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की आवश्यकता है.
पृथ्वी का वैश्विक सतह तापमान 1850-1900 के औसत की तुलना में लगभग 1.15 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है, जो कि पिछले 1,25,000 वर्षों में सबसे हालिया हिमयुग से पहले नहीं देखा गया था. इस तापमान वृद्धि को दुनिया भर में रिकॉर्ड सूखे, जंगल की आग और बाढ़ का कारण माना जा रहा है.
वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि का कारण वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों, मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन की तेजी से बढ़ती सांद्रता है.

 

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