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11-Apr-2024 4:41:24 am
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भीमा-कोरेगांव हिंसा के आरोपी को सरकार को चुकाने होंगे 1 करोड़ 64 लाख रुपये, सुप्रीमकोर्ट ने कहा- खुद ही चुकाएं हाउस अरेस्ट का बिल

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी गौतम नवलखा से साफ कहा कि आपने स्वयं घर में नजरबंदी का अनुरोध किया था। ऐसे में आप नजरबंदी के दौरान महाराष्ट्र सरकार द्वारा सुरक्षा के लिए मुहैया कराए गए पुलिस कर्मियों का खर्च उठाने के दायित्व से बच नहीं सकते हैं। नवलखा नवंबर 2022 से मुंबई में सार्वजनिक पुस्तकालय में नजरबंद हैं।
न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कहा कि नवलखा पर एजेंसी का लगभग 1.64 करोड़ रुपये बकाया है। इस राशि का भुगतान गौतम नवलखा को कडऩा पड़ेगा। पीठ ने नवलखा की ओर से पेश वकील से कहा, अगर आपने इसके लिए (घर में नजरबंदी) मांगा है, तो आपको (सुरक्षा कवर की लागत) चुकानी होगी। आप अपने दायित्व से बच नहीं सकते।”
नवलखा के वकील ने नजरबंदी के लिए भुगतान करने की इच्छा व्यक्त की लेकिन रकम को लेकर आपत्ति जताई है। एनआईए का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने कहा, हर बार वे ऐसा कहते हैं, मैं मुद्रा कागज देखना चाहता हूं, आपकी फाइल नहीं।
हाउस अरेस्ट के दौरान चौबीसों घंटे पुलिस कर्मियों की रही तैनाती
एसवी राजू ने कहा कि 1.64 करोड़ रुपये बकाया हैं और नवलखा को उनकी नजरबंदी के दौरान प्रदान की गई सुरक्षा के लिए भुगतान करना होगा। राजू ने कहा कि नजरबंदी के दौरान उनकी सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। नवलखा नवंबर 2022 से मुंबई की एक सार्वजनिक लाइब्रेरी में नजरबंद हैं।
अगस्त 2018 में गिरफ्तार किए गए नवलखा ने शीर्ष अदालत का रुख कर अनुरोध किया था कि उन्हें महाराष्ट्र की तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत के बजाय घर में नजरबंद रखा जाए। जिसके बाद 10 नवंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा को बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण घर में नजरबंद करने की अनुमति दी थी।

 

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