स्पाइन की समस्या से ग्रस्त मरीजों के लिए अब इलाज और भी ज्यादा आसान हो गया है। पेसमेकर फॉर द स्पाइनल कॉर्ड तकनीक के जरिए स्पाइनल कॉर्ड से संबंधित सभी प्रकार के दर्द जैसे ब्रैंकियल प्लेक्सस इंजुरी के कारण उत्पन्न होने वाले दर्द, पीठ दर्द यानी बैक पेन का प्रभावी तौर पर इलाज किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि इस तकनीक के जरिए मरीज की नसों के मार्ग को दुरुस्त कर दिया जाता है जिससे पीठ दर्द से काफी हद तक राहत मिलती है। दरअसल, स्पाइन के मामलों में पेनकिलर गोलियां, इंजेक्शन आदि उपयोगी साबित नहीं होते हैं जबकि गंभीर केसों में तो नौबत सर्जरी तक आ जाती है। इसलिए स्पाइन को नजरदांज करना ठीक नहीं है। मेडिकल साइंस में जिन मरीजों की सर्जरी के बाद भी हालत सही नहीं होते उन्हें फेल्ड बैक सिंड्रोम या पोस्ट-लैमिनेटटॉमी सिंड्रोम कहा जाता है। ऐसे मरीजों के लिए अब पेसमेकर इंप्लांट काफी राहत प्रदान कर रहा है। इसके जरिए इस दर्द से मुक्ति मिल सकती है। पेसमेकर लगाने के बाद, स्पाइनल कॉर्ड स्पेस में इलेक्ट्रोड, जिसे एपिड्यूरल स्पेस कहते हैं, रखा जाता है। इस कारण इस स्पेस में कुछ मिलीएंपीयर के करंट के साथ हाई फ्रीक्वेंसी का इलेक्ट्रिकल इंपल्स उत्पन्न होता है। यह इंपल्स स्पाइनल कॉर्ड से होकर ब्रेन तक पहुंचने वाले दर्द के संकेतों को बीच में ही रोक देता है और उसे निष्प्रभावी कर देता है। इससे रोगी का दर्द कम हो जाता है। यह पूरी कार्यप्रणाली जिस सिद्धांत के तहत कार्य करती है उसे गेट कंट्राल थ्योरी ऑफ पेन कहते हैं। कुछ महत्वपूर्ण तथ्य - ऑपरेशन का घाव भर जाने के बाद, रोगी को दर्द से छुटकारा मिल जाता है। - इंप्लांट के सेंसेशन अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरह से महसूस होते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में एक हल्की सिहरन महसूस होती है। - यह एक आसान और दर्द को जल्द कम करने वाली थेरपी है। - इस थेरपी के साथ ही डॉक्टर द्वारा बतायी गई एक्सरसाइज को करना होता है। - जरूरत पडऩे पर इस उपकरण को चौबीसो घंटे इस्तेमाल किया जा सकता है।
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