छत्तीसगढ़

13-Feb-2019 10:55:35 am
Posted Date

कुम्हरावंड का साल वन, विभागीय लापरवाही से चढ़ गया चोरों की भेंट

जगदलपुर, 13 फरवरी । बस्तर के जलवायु नियामक साल वृक्षों का अत्यंत महत्व है और शहर के समीप ही कुम्हड़ाकोट स्थल पर साल वनों का पहले जो विशाल छोटा वन था वह समय की मार और लगातार होती रही अनदेखी तथा लकड़ी चोरों की भेंट चढ़ गया है। 
इसे देखते हुए वन विभाग ने वर्ष 2012 में सिंचाई की व्यवस्था ड्रिप के माध्यम से करते हुए 6 हेक्टेयर से भी अधिक क्षेत्र में 6 हजार से भी अधिक साल पौधों का रोपण कर यहां एक साल वन विकसित करने की योजना शुरू की थी। इस रोपण को देखने तथा इसकी सुरक्षा के लिए चौकीदार की नियुक्त किया गया लेकिन गत वर्ष अचानक लगी आज से सैकड़ों की संख्या में इस रोपणी के पौधे जलकर खाक हो गए। जिसके कारण आज इस रोपणी में गिनती के ही पौधे बच पाएं हैं। इस प्रकार वन विभाग की साल वन विकसित करने की योजना लाखों रूपए खर्च करने के बाद भी पानी में चली गई। 
उल्लेखनीय है कि इसके बाद इस कुम्हड़ाकोट वन में साल प्लांटेशन के लिए पुन: रोपण नहीं किया गया, जबकि प्राकृतिक आपदा से पौधों के नष्ट होने से फिर से रोपण कराए जाने की योजना होती है। और इसमें कोशिश की जाती है कि पर्यावरण तथा जलवायु की अनुकूलत: के लिए वन विकसित हो सके। अब वर्तमान में वन विभाग यहां कुछ करने की इच्छा में नहीं है और इस वन विकसित करने की योजना फ्लाप सिद्द हो गई है। ऐसी स्थिति में पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय नागरिकों ने शहर में बढ़ रहे जलवायु प्रदूषण को देखते हुए वन विभाग से आग्रह किया है कि पर्यावरण के लिए आवश्यक पुन: साल वनों को स्थापित किया जाए और लोगों को स्वच्छ जलवायु प्रदान करने का उपक्रम किया जाए। 

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