छत्तीसगढ़

13-Feb-2019 10:53:47 am
Posted Date

पुस्तकों की जगह बच्चों को हथियार थमा रहे नक्सली

० मुठभेड़ के दौरान भी इनका इस्तेमाल किया जाता है
जगदलपुर, 13 फरवरी । नक्सलियों ने अपने आपको सुरक्षित करने और अपनी सहायता के लिए बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को भी हिंसा की राह में लगा दिया है और उनके हाथों में कापी-किताब की बजाय हथियार थमाएं जा रहे हैं। 
प्राप्त जानकारी के अनुसार दंतेवाड़ा एवं बीजापुर के भीतरी क्षेत्रों में नक्सलियों ने अपनी रणनीति के तहत पांच से तेरह वर्ष के बच्चों को पिस्तौल सहित देशी कट्टे से फायर करना सीखा रहे हैं और इन बच्चों को पुलिस से मुठभेड़ के समय अपनी सहायता के लिए साथ रखा जाता है। इसके अलावा इन्हीं बच्चों से पुलिस की हर सूचना प्राप्त करने के लिए इन्हें इस्तेमाल किया जाता है। 
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्षों में कई ऐसी घटनाएं घटित हुई, जिसमें स्कूली पोशाक में बच्चों को नक्सलियों की मदद करते देखा गया है। वर्ष 2009 में पूर्व सांसद बलिराम कश्यप के पुत्र तानसेन कश्यप की हत्या भी उनके घर में घुसकर इन्हीं बाल संघम सदस्यों ने की थी। इसके अलावा 2011 में पूर्व मंत्री केदार कश्यप के गनमैन पर हमला करके  उसके हाथ से एके 47 रायफल छीनी गई थी। इसी प्रकार कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें इन बाल संघम सदस्यों का योगदान रहा। आज भी नक्सली अपने आपको सुरक्षा बलों के दबाव से सुरक्षित रखने ग्रामीण क्षेत्रों के आदिवासी ग्रामीण बच्चों को स्कूल जाने की बजाय उन्हें हिंसा की ओर मोडक़र, उनके हाथों में बंदूकें थमा रहे हैं। 
इस बात की पुष्टि पुलिस अधीक्षक बीजापुर मोहित गर्ग ने करते हुए कहा कि नक्सली गतिविधियों पर पुलिस की लगातार नजर रहती है। वर्तमान में नक्सली गांव के छोटे-छोटे बच्चों एवं महिलाओं को बरगलाकर हिंसा में झोंक रहे हैं। 

Share On WhatsApp