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21-Mar-2024 2:53:42 am
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ला ट्रोब यूनिवर्सिटी के नए वाइस चांसलर ने अपने भारत दौरे पर आपसी संबंधों को मजबूत बनाया

नई दिल्ली । भारत ला ट्रोब यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया ने अपने नए वाइस चांसलर के भारत दौरे पर अनुसंधान और शिक्षा में साझेदारी बढ़ाने की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को मजबूत बनाते हुए कुछ खास क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है। इस साल फरवरी में वाइस चांसलर बने प्रोफेसर थियो फैरेल ने पांच दिन के भारत दौरे पर उद्योग जगत, सरकार और व्यापार जगत के प्रतिनिधियों से बात की। भारत में ला ट्रोब का एक गौरवपूर्ण और सफल इतिहास रहा है । टर्शियरी संस्थानों और संगठनों के साथ ला ट्रोब की साझेदारी का दोनों देशों को लाभ मिला है। ला ट्रोब ने साझा शिक्षा का अवसर देकर भारत की प्रतिभाओं को बेहतर विकास करने का उनका मार्ग प्रशस्त किया है । प्रोफेसर फैरेल ने भारतीय दौरे पर ला ट्रोब के भागीदारों, उद्योग जगत और सरकार के प्रतिनिधियों के साथ कई बैठकें कीं। इनमें परस्पर हित के क्षेत्रों पर सहयोग की संभावना पर ध्यान केंद्रित किया गया जो दोनों देशों की प्राथमिक जरूरतें पूरी करने में सहायक होगा और इसका उद्योग जगत में नवाचार और विकास के दृष्टिकोण से विशेष महत्व 7 प्रोफेसर फैरेल ने कहा कि ला ट्रोब के लिए प्राथमिकता के कई क्षेत्र थे जिनमें मौजूद अवसर भारत से अटूट संबंध बनाने और नई साझेदारियां करने के लिए काफी अहम हैं । इनमें कई अवसर हैं जैसे भारत और ऑस्ट्रेलिया में छात्रों के आदान-प्रदान जारी रखना; डिजिटल प्रौद्योगिकियों और कौशल में नवाचारों पर केंद्रित अनुसंधान बढ़ाना; अनुसंधान के व्यावसायीकरण के अवसरों की तलाश और उद्योग जगत के भागीदारों के साथ संबंध बनाना । ला ट्रोब उद्योग जगत से परस्पर साझेदारी बढ़ा कर कई अहम क्षेत्रों में अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर सकता है जैसे स्मार्ट सिटी का विकास, सस्टेनेबल खेती और खाद्य सुरक्षा, जैव - नवाचार और स्वास्थ्य एवं संबद्ध देखभाल में नवाचार आदि ।प्रोफेसर फैरेल ने कहा, “ ला ट्रोब के कुछ सबसे महत्वपूर्ण युनिवर्सिटी पार्टनर भारत में हैं और हम भारतीय उद्योग और व्यवसाय जगत के साथ महत्वपूर्ण साझेदारियां कर रहे हैं । हमारा मकसद आपसी सहयोग से सस्टेनेबल खाद्य उत्पादन और कृषि, स्वास्थ्य और कल्याण, प्रौद्योगिकी और जैव-नवाचार सहित ऐसे अन्य क्षेत्रों में हमारी खास विशेषज्ञता का लाभ उठाना है । दुनिया की अग्रणी जैव प्रौद्योगिकी कम्पनियों में एक बायोएनटेक ने बायो-इनोवेशन में हमारी विशेषज्ञता को हाल में मान्यता दी है। कैंसर के उपचार का विकास और परीक्षण करने के मकसद से नए एमआरएनए निर्माण केंद्र बनाने के लिए ला ट्रोब के मेलबर्न कैम्पस को अपना आधार चुना है।
ला ट्रोब यूनिवर्सिटी द्वारा 2019 में गठित एशियन स्मार्ट सिटीज रिसर्च इनोवेशन नेटवर्क (एएससीआरआईएन) के सभी सदस्य विश्वविद्यालयों के लीडरशिप राउंडटेबल में भावी सहयोग और संपर्क के अवसरों पर भी चर्चा की गई। आज एएससीआरआईएन इसकी एकल सबसे बड़ी अनुसंधान अंतर्राष्ट्रीयकरण पहल है जिसमें 43 मिलियन एयूडी से अधिक ( 235 करोड़ रुपये) का साझा निवेश है।एएससीआरआईएन स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर आधुनिक अनुसंधान के लिए शोधकर्ताओं, विश्व उद्योग जगत के भागीदारों, सरकार के सहयोगियों और स्टार्ट-अप के एक नेटवर्क को एकजुट करता है, जिससे संबद्ध क्षेत्रों के शहरों और कस्बों में सस्टेनेबलिटी, निवास योग्यता और अन्य क्षमता में सुधार करने में मदद मिलती है। एएससीआरआईएन के संस्थापक और आईआईटी कानपुर - ला ट्रोब यूनिवर्सिटी रिसर्च अकादमी के सह-निदेशक प्रोफेसर अनिरुद्ध देसाई ने कहा, “इस नेटवर्क में 250 से अधिक शोधकर्ता हैं जो संबंधित क्षेत्रों के शहरों और कस्बों में सस्टेनेबलिटी, निवास योग्यता और अन्य सक्षमता बढ़ाने के लिए असरदार प्रोजेक्ट्स का दमदार पोर्टफोलियो तैयार करने में काफी प्रगति कर चुके हैं। अब हम इसके विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। उद्योग जगत और सरकार के साथ तेजी से जुडऩा चाहते हैं। इससे इसके व्यावसायीकरण और अपनाने का काम तेजी से होगा ।  2023 में शुरू किया गया यह सहयोग करार भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2023 और भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया की शिक्षा रणनीति के अनुरूप है। इसके तहत छात्रों को महिंद्रा विश्वविद्यालय में दो साल और ला ट्रोब विश्वविद्यालय में दो साल पढ़ाई कर सिविल इंजीनियरिंग में ग्रैजुएट की डिग्री हासिल करने का अभूतपूर्व अवसर मिलता है। छात्रों को दोनों विश्वविद्यालयों से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रैजुएशन की डिग्री प्रदान की जाएगी ।

 

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