छत्तीसगढ़

11-Feb-2019 12:45:37 pm
Posted Date

गिलहरियों की मनमोहक उछल-कूद से खिल उठा है बस्तर का जंगल

० सामान्य से बड़ी होती हैं बस्तर की गिलहरियां
जगदलपुर, 11 फरवरी । मध्य बस्तर सहित दक्षिण बस्तर के कुटरू अभ्यारण व बस्तर के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान से लेकर माचकोट के जंगलों में इन दिनों विशालकाय गिलहरियों को एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक उड़ान भरते हुए देखा जा रहा है। ये विशाल गिलहरियां अपनी छलांग भरने की खासियत की वजह से जीव विज्ञानियों के लिए अभिरुचि का सबब बनी हुई हैं। 

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बस्तर के अधिकांश इलाके के जंगल में सेमल के पेड़ों पर फूल खिलने का मौसम है। इन्हीं फूलों का स्वाद उड़ाने के लिए यह गिलहरी कोटर से बाहर आकर इनकी टहनियों में इठला रही हैं। स्थानीय लोग इसे कराट मूसा के नाम से पहचानते हैं। झपेड़ों की फुनगियों में अपना आशियाना बनाकर रहने वाली इस गिलहरी की पूँछ इसके शरीर से भी बड़ी होती है। एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक लंबी छलांग लगाते हुए वे ऐसे नजर आती हैं कि, जैसे उड़ान भर रही हों।
प्राणी विज्ञानी सुशील दत्ता ने बताया कि झब्बेदार पूंछ की वजह से, इनकी उड़ान आकर्षक बन जाती है। एक तरह से यह ग्लाइडर की तरह दिखाई देती है। एक बार में यह आसानी से सौ फीट तक दूरी तय कर लेती है। यह गिलहरी एक ही पेड़ में कई घोंसले बनाती है। एक घोंसले में एक बच्चे व एक वयस्क के रहने की सुविधा होती है। 
उन्होंने बताया कि मांसाहारी जीवों के साथ ही शिकारी पक्षियों से जान बचाने के लिए यह अक्सर लंबी उड़ान भरती है। सामान्य गिलहरियों से करीब डेढ़ गुना बड़ी ये विशेष प्रकार की गिलहरियां, सुबह धूप खिलने के साथ ही बाहर निकल रही हैं। अपना पेट भरने के बाद यह शर्मिला प्राणी ऊंची शाखा पर ही प्राकृतिक तौर पर बने-बनाए हुए कोटर में छिप जाता है। 

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