नई दिल्ली ,10 फरवरी । देश भर के कॉल ड्रॉप और नेटवर्क में कमजोरी वाले इलाकों में टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) अगले महीने से विशेष अभियान शुरू करेगा। इसके तहत अलग-अलग जगहों के आंकड़ों को जुटाकर उनकी समीक्षा की जाएगी और समीक्षा में बाद कमी पाए जाने पर उनके सुधार के लिए जरूरी उपाय किए जाएंगे।
इस बारे में जानकारी देते हुए ट्राई चेयरमैन राम सेवक शर्मा ने बताया कि अक्तूबर 2017 से अब तक 126 शहरों में कॉल ड्रॉप के टेस्ट किए हैं। इस पश्चात उन नतीजों की गहन समीक्षा की जाएगी और जरूरत पडऩे पर नए नियम भी बनाए जाएंगे ताकि लोगों को कॉल ड्रॉप से मुक्ति मिले। उन्होंने कहा कि मोबाइल सिग्नल के लिए गैर कानूनी तरीके से लगाए गए सिग्नल बूस्टर भी मुश्किल खड़ी कर रहे हैं। वे कॉल ड्रॉप के साथ साथ इंटरनेट स्पीड को प्रभावित कर रहे हैं। ट्राई प्रमुख के मुताबिक पिछले सवा साल में देशभर के हाईवे और रेलवे नेटवर्क पर रूटवाइज टेस्टिंग चल रही है। बड़े शहरों में कॉल ड्रॉप की दिक्कत को लेकर 5-6 दिन तक लगातार 200-300 किलोमीटर तक टेस्टिंग की जा रही है। इन सभी आंकड़ों की समीक्षा की जाएगी।
ट्राई के अधिकारी कॉल ड्रॉप और इंटरनेट स्पीड के आंकड़े तीन तरह से पता करते हैं। इसमें सभी ऑपरेटरों के नेटवर्क में एक मशीन लगी होती है जो किसी भी समय सिस्टम में कॉल ड्रॉप और नेटवर्क की समस्या के आंकड़े विभाग को पहुंचाती है। वहीं दूसरे तरीके में ट्राई का मोबाइल एप स्पीड भी अलग-अलग जगहों के आंकड़े उसे मुहैया कराता रहता है। इसके अलावा तीसरे तरीके से देश भर में ट्राई की टीम एक मशीन कार में लेकर जाती है या ट्रेन में लगाकर चलती है। उस मशीन में 10-12 फोन लगे होते हैं। वह फोन उस इलाके में सिग्नल के हालात बताते रहते हैं। साथ ही कॉल ड्रॉप के आंकड़े भी मशीन दर्ज करती है। आंकड़ों को परखने के बाद ट्राई उनके लिए जिम्मेदार ऑपरेटर्स पर कार्रवाई भी करता है। साथ ही उन वजहों का भी पता लगाता है जिसके कारण सिग्नल खराब हुए हैं।