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07-Feb-2019 10:36:51 am
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अंतरिम बजट के बाद आरबीआई ने घटाई ब्याज दरें, लोन लेना हुआ सस्ता

नई दिल्ली ,07 फरवरी । भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रीपो रेट में 0.25 प्रतिशत कटौती का फैसला किया। इसके साथ ही, अब रीपो रेट 6.50 प्रतिशत से घटकर 6.25 प्रतिशत हो गया। इससे आपकी होम लोन, ऑटो लोन और दूसरे सभी तरह के लोन की ईएमआई घटने के आसार है। रिजर्व बैंक ने पिछली 3 पॉलिसी में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था। अब रेपो रेट 6.25 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 6 फीसदी हो गया है। 
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2020 के लिए जीडीपी का लक्ष्य 7.4 फीसदी दिया है। अप्रैल से सितंबर के लिए ग्रोथ का अनुमान 7.2-7.4 फीसदी के बीच रखा गया है। रिजर्व बैंक के दरें घटाने के बाद रिवर्स रेपो रेट 6 फीसदी हो जाएगी। रिजर्व बैंक ने अपना मत न्यूट्रल कर लिया है। मॉनटरी पॉलिसी कमेटी के 6 सदस्यों में से 4 ने दरों को घटाने के पक्ष में वोट दिया। एमपीसी के छह में से चार सदस्योंं ने रीपो रेट में कटौती का समर्थन किया जबकि दो अन्य सदस्यों, विरल आचार्य और चेतन घाटे रेट कट के पक्ष में नहीं थे। रिजर्व बैंक ने जनवरी से मार्च रिटेल महंगाई 2.8 फीसदी और अप्रैल से सितंबर के दौरान रिटेल महंगाई 3.2 से 3.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
आरबीआई के इस कदम से आम जनता को कर्ज लेना सस्ता पड़ेगा। इससे सभी तरह के कर्ज लेना शामिल हैं। 28 जनवरी को सरकारी बैंकों के साथ बैठक में शक्तिकांत दास ने इस बात के संकेत दिए थे। बैठक के बाद आर्थिक जगत ने उम्मीद जताई है कि मुद्रास्फीति में नरमी को देखते हुए रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है। इससे पहले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दर बीते दिसंबर में घटकर 2.19 फीसदी पर आ गई है, जो कि डेढ़ साल का न्यूनतम स्तर है। एमपीसी ने उम्मीद के मुताबिक नीतिगत रुख को नपी-तुली कठोरता बरतने को बदल कर तटस्थ कर दिया। साथ ही कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और राजकोषीय चुनौतियों के चलते नीतिगत दर में बदलाव नहीं किए जाने की संभावना है। 5, 6 और 7 फरवरी को चली छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की। आरबीआई गवर्नर बनने के बाद यह उनका पहली एमपीसी बैठक थी। 

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