नयी दिल्ली,02 फरवरी । शीर्ष उपभोक्ता फोरम ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को निर्देश दिया कि वह एक रक्षा कर्मी की विधवा को मासिक पारिवारिक पेंशन दें जो बैंक ने रोकी हुई थी। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) की पीठ ने कहा कि महिला का बैंक खाता फ्रीज करना और उसे पेंशन की राशि देने से इनकार करना सेवा में कमी का मामला है। पीठासीन सदस्य अनूप के ठाकुर और सदस्य सी विश्वनाथ की पीठ ने पश्चिम बंगाल में नदिया की एसबीआई शाखा को महिला मणिका सरकार की रोकी हुई पेंशन को जारी करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, ‘‘प्रतिवादी (सरकार) याचिकाकर्ता (एसबीआई) की ग्राहक थी क्योंकि उसका याचिकाकर्ता के बैंक में संयुक्त खाता था जहां नियमित रूप से उसकी पेंशन जमा होती थी। याचिकाकर्ता सेवा प्रदाता है। याचिकाकर्ता बैंक ने उसका खाता फ्रीज कर दिया और उसे अनुचित रूप से पेंशन की राशि देने से इनकार कर दिया जो सेवा में कमी का मामला है।’’ सरकार को उनकी पति की मौत के बाद बेटे सुमन कल्याण सरकार के साथ संयुक्त बैंक खाते में पेंशन मिल रही थी। महिला की शिकायत के अनुसार, एसबीआई कर्मचारी सुमन पर धन की हेराफेरी का आरोप है जिसके बाद बैंक ने सरकार का खाता फ्रीज करके उसे पेंशन से वंचित कर दिया जो उसकी जीविका का एकमात्र स्रोत था। एक जिला फोरम ने 24 अप्रैल 2018 को अपने आदेश में कहा था कि पेंशन धारक की जीविका के लिए होती है जिसे कोई भी कुर्क या बंद नहीं कर सकता और उसने अधिकारियों को सरकार को पेंशन राशि निकालने देने के निर्देश दिए थे। एनसीडीआरसी ने बैंक की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए कहा कि सरकार की पेंशन पर रोक लगाना बैंक का गलत कदम है । इससे बेटे की गलती की सजा उन्हें मिल रही है।
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