छत्तीसगढ़

01-Feb-2019 12:41:07 pm
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बस्तर के 5300 किसानों को मिलेगा सिंचाई कर माफी का लाभ

जगदलपुर, 01 फरवरी । किसानों का कर्ज माफ करने का सिलसिला और आगे बढ़ गया है। कुछ दिनों पहले जहां राज्य सरकार ने सहकारिता विभाग के माध्यम से बैकों से कर्ज लेने से हजारों किसानों को राहत देते हुए उनका कर्ज माफ कर दिया था, वहीं अब सालों से सिंचाई शुल्क जमा नहीं करने वाले किसानों को राहत दी है। पिछले 15 साल का बकाया कर सरकार ने माफ कर दिया है। पहली बार सिंचाई कर माफ किए जाने का फायदा बस्तर जिले के 5300 किसानों को मिलेगा। 
जानकारी के मुताबिक ये किसान पिछले डेढ़ दशक से सिंचाई शुल्क जमा नहीं कर रहे थे। शुल्क वसूली के लिए जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने कई बार किसानों को नोटिस देने की योजना बनाई लेकिन किसानों की माली हालत को देखते हुए इस काम को अंजाम नहीं दिया गया। किसानों को राहत देते हुए उनका 63 लाख रुपए का कर्ज माफ कर दिया गया है। इसका फायदा सबसे अधिक बस्तर और जगदलपुर ब्लाक के किसानों को मिलेगा। ज्ञात हो कि बस्तर जिले में इन दोनों ब्लाकों के किसान जल संसाधन विभाग के द्वारा बनाई गई सिंचाई परियोजनाओं का लाभ लेते हैं।  
उल्लेखनीय है कि किसानों को सबसे अधिक लाभ कोसारटेडा बांध से मिलता है। इस बांध से किसानों को हर साल सात हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में सिंचाई सुविधा दी जाती है। बांध के किनारे रहने वाले किसान सबसे अधिक धान व मक्का की खेती की जाती है। कृषि विभाग के मुताबिक बांध के पानी का उपयोग इस समय 800 हेक्टेयर में लगे मक्के की फसल के लिए किसान कर रहे हैं। इसके अलावा खरीफ सीजन में करीब दो हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में धान के लिए बांध के पानी का उपयोग किया जाता है। जानकारी के मुताबिक इस समय जिले में सिंचाई परियोजनाओं के नाम पर एक मध्यम परियोजना के साथ तालाब व उद्वहन सिंचाई योजना की आधा दर्जन परियोजनाएं चल रही हैं। इस बांध के पानी का उपयोग हर साल 6 हजार से अधिक किसानों के द्वारा किया जाता है। 
बांध और तालाब के साथ ही उद्वहन सिंचाई योजना के जरिए किसानों को दी जाने वाली सिंचाई सुविधा के लिए जल संसाधन विभाग ने अलग-अलग रेट तय किए गए हैं। जानकारी के मुताबिक खरीफ के सीजन में जहां किसानों को 99 रुपए प्रति एकड़ के मान से किसानों से शुल्क लिया जाता है वही रबी सीजन में बढक़र यह 120 रुपए हो जाता है। आसानी से मिलने वाली इस सुविधा का उपयोग किसानों के द्वारा सालों से बिना किसी रोक टोक के किया जाता रहा है। लेकिन जब शुल्क जमा करने का समय आता है तो किसान इससे दूर हट जाते हैं। किसानों की लेटलतीफी के चलते जल संसाधन विभाग अब तक शुल्क की वसूली कभी भी 50 फीसदी तक नहीं कर पाया है। 
कार्यपालन अभियंता जल संसाधन विभाग पीजीएस राजपूत के मुताबिक किसानों को सिंचाई शुल्क माफ कर दिया गया है। इस माफी का फायदा बस्तर जिले के हजारों किसानों को मिलेगा। अब किसान बिना किसी परेशानी के एक बार फिर से अपनी आवश्यकता के अनुरूप सिंचाई संसाधनों का उपयोग कर सकेंगे। 

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